x
चीन अपनी दादागीरी वाली हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। उसने ताइवान मामले को लेकर जापान को परमाणु हमले की धमकी दी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बीजिंग। चीन अपनी दादागीरी वाली हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। उसने ताइवान मामले को लेकर जापान को परमाणु हमले की धमकी दी है। बीजिंग ने लिथुआनिया को अपने यहां ताइवानी दूतावास खोलने की इजाजत देने पर चेतावनी दी है। चीन द्वीपीय क्षेत्र ताइवान को अपना मानता है। वह इस क्षेत्र पर बल पूर्वक कब्जा करने की धमकी भी दे चुका है। वह ताइवान के साथ किसी देश के राजनयिक संबंध स्थापित करने का भी विरोध करता है।
फाक्स न्यूज के अनुसार, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का एक वीडियो सामने आया है। सीसीपी द्वारा स्वीकृत एक चैनल पर दिखाए गए इस वीडियो में कहा गया कि गैर परमाणु शक्तियों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने की चीन की नीति है। जापान इसका अपवाद बन सकता है। इसमें यह चेतावनी दी गई है कि ताइवान मामले में जापान ने दखल दिया तो परमाणु हमला कर दिया जाएगा। हालांकि इस वीडियो को बाद में चीनी वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म शिगुआ से हटा दिया गया। इसे 20 लाख से ज्यादा बार देखा गया। यह वीडियो हटाए जाने से पहले ही यूट्यूब और ट्विटर पर भी अपलोड कर दिया गया।
समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार, चीन ने लिथुआनिया को चेतावनी देते हुए कहा कि वह गलत संदेश नहीं दे। इससे पहले ताइवान ने कहा कि वह बाल्टिक क्षेत्र के इस देश में अपना दूतावास खोलेगा।
वहीं, इससे पहले चीन ने ताइवान के मामले में अमेरिका को भी सीधे देख लेने की धमकी दे दी थी। चीन ने अप्रत्यक्ष रूप से जंग की धमकी दी थी। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि ताइवान हमारी मुख्य भूमि का हिस्सा है और अमेरिका इस मामले में हस्तक्षेप कर खतरा उठा रहा है। इसके अलावा चीन के रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका को ताइवान के साथ सैन्य संपर्क बढ़ाने के खिलाफ चेतावनी दी थी। मंत्रालय के प्रवक्ता रेन गुओकियान्ग ने कहा था कि चीन इस द्वीप-देश को जोड़ने में भरोसा रखता है और किसी बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करता है। एक बयान में उन्होंने ताइवान से सभी सैन्य संबंध तोड़ने को कहा था।
ब्रिटेन एशियाई जल क्षेत्र में तैनात करेगा युद्धपोत
ब्रिटेन ने मंगलवार को कहा कि वह अपने दो युद्धपोत एशियाई जल क्षेत्र में स्थायी तौर पर तैनात करेगा। यह तैनाती सितंबर में उस विवादित जल क्षेत्र से विमानवाहक पोत क्वीन एलिजाबेथ के गुजरने के बाद की जाएगी, जिस पर चीन अपना वर्चस्व बनाना चाहता है। यह पोत दक्षिण चीन सागर से होते हुए जापान जाएगा। चीन इस जल क्षेत्र पर अपना दावा करता है। ब्रिटिश रक्षा मंत्री बेन वालेस ने अपने जापानी समकक्ष के साथ एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी।
Next Story