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चीन: भारत के साथ सीमा पर मौजूदा स्थिति को जिनपिंग सरकार ने स्थिर बताया, दोनों देशों के बीच आज कमांडर स्तर की वार्ता

Renuka Sahu
12 Jan 2022 12:48 AM GMT
चीन: भारत के साथ सीमा पर मौजूदा स्थिति को जिनपिंग सरकार ने स्थिर बताया, दोनों देशों के बीच आज कमांडर स्तर की वार्ता
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फाइल फोटो 

चीन ने भारत के साथ 12 जनवरी को होने वाली कोर कमांडर स्तर की वार्ता में हिस्सा लेने की पुष्टि की है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन ने भारत के साथ 12 जनवरी को होने वाली कोर कमांडर स्तर की वार्ता में हिस्सा लेने की पुष्टि की है। इसी के साथ चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति को स्थिर करार दिया है। चीन की तरफ से बयान में कहा गया कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली बाकी जगहों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता बुधवार, 12 जनवरी को ही होगी।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''जैसा कि दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी है, चीन और भारत 12 जनवरी को चीन की सीमा में मौजूद माल्दो में 14वें दौर की कमांडर स्तरीय वार्ता करेंगे।''
उन्होंने कहा, ''मौजूदा समय में, सीमावर्ती इलाकों में स्थिति कुल मिलाकर स्थिर है और दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से बातचीत कर रहे हैं।'' वांग ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि भारत आपात स्थिति को नियमित प्रबंधन चरण की ओर ले जाने में मदद करेगा।
नई दिल्ली में स्थित रक्षा सूत्रों के मुताबिक, "भारत और चीन के बीच यह वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की ओर चुशुल-मोल्दो में 12 जनवरी को होगी। उन्होंने बताया कि वार्ता का मुख्य केंद्र बिंदु हॉट स्प्रिंग इलाके में सैनिकों को पीछे हटाना होगा।
यह उम्मीद की जा रही है कि भारत देपसांग बल्ग और डेमचोक में मुद्दों के समाधान सहित टकराव वाले सभी शेष स्थानों पर यथाशीघ्र सैनिकों को पीछे हटाने के लिए जोर देगा। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता 10 अक्टूबर 2021 को हुई थी और गतिरोध दूर नहीं कर पाई थी।
पैंगोंग झील इलाके में पांच मई 2020 को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध पैदा हुआ था। इसके बाद सैन्य और राजनयिक स्तर की वार्ता के चलते पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों और गोगरा इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया दोनों पक्षों ने पिछले साल पूरी की गई थी। बताया जाता है कि एलएसी के संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान में दोनों में से प्रत्येक देश के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक हैं।

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