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पूर्वी लद्दाख में अमेरिका की निंदा से बौखलाया चीन, जानें- भारत की प्रतिक्रिया पर क्यों गदगद हुआ ड्रैगन? एक्सपर्ट व्यू
Kajal Dubey
10 Jun 2022 11:01 AM GMT
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नई दिल्ली, जेएनएन। भारत ने समय-समय पर अपने विदेश नीति का लोहा पूरी दुनिया को मनवाया है। रूस यूक्रेन जंग का मामला हो या पूर्वी लद्दाख में चीन के अतिक्रमण का मसला हो भारत ने साफ किया है कि वह अपनी विदेश नीति में किसी का दखल स्वीकार नहीं करता है। भारत चीन सीमा विवाद के बाद एक बार फिर भारत की विदेश नीति सुर्खियों में है। पूर्वी लद्दाख में चीन के नए निर्माण की निंदा अमेरिका ने की है। इसके बाद भारत ने अमेरिकी निंदा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह भारत चीन सीमा विवाद का द्विपक्षीय मामला है। इसमें किसी अन्य देश का दखल स्वीकार नहीं करेगा। आखिर भारत चीन सीमा विवाद क्या है? भारत के इस बयान के क्या मायने हैं? अपने इस बयान के जरिए भारत क्या सिद्ध करना चाहता है? इन सारे मसलों पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार अभिषेक सिंह का कहना है कि एक बार फिर भारत ने यह सिद्ध किया है कि वह अपने द्विपक्षीय मसलों की समस्या का समाधान खुद कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत चीन सीमा विवाद पर अमेरिका ने चीन की निंदा की है। इससे चीन तिलमिला गया है। हालांकि, भारत ने एक बार फिर अपने स्टैंड को क्लीयर करते हुए कहा है कि भारत चीन सीमा विवाद में वह किसी भी अन्य देश का हस्तक्षेप नहीं चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से यह संदेश गया है कि भारतीय विदेश नीति स्वतंत्र है। भारत किसी अन्य देश के दबाव में आकर फैसले नहीं लेता।
2- प्रो सिंह ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब भारत ने सीमा विवाद के मामले में अमेरिका को हस्तक्षेप नहीं करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इसके पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भी भारत ने अपने स्टैंड को क्लीयर करते हुए कहा था कि वह अपने सीमा विवाद के मुद्दे को खुद सुलझाएगा। भारत का यह स्टैंड उसकी विदेश नीति का हिस्सा है। पूर्वी लद्दाख के अलावा कश्मीर मामले में भी भारत किसी अन्य देश के दखल को नकार चुका है।
3- उन्होंने कहा कि ऐसे कई मौके आए हैं, जब भारत ने अपनी विदेश नीति को धार दी है। प्रो सिंह ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान भी भारत ने अमेरिकी दबाव को दरकिनार कर तटस्थता की नीति का निर्वहन किया। भारत ने साफ किया था कि वह युद्ध का विरोधी है और दोनों देशों को इस समस्या का समाधान वार्ता के जरिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि वह अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों का निर्धारण स्वयं करता है। वह अपनी विदेश नीति के निर्धारण में तीसरे मुल्क का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करता है। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत पर रूस के खिलाफ मतदान करने का काफी दबाव था, लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। संयुक्त राष्ट्र में मतदान के दौरान वह चीन के साथ हिस्सा नहीं लिया। भारत के इस कदम से अमेरिका नाखुश भी रहा।
4- प्रो सिंह ने कहा कि यह भारतीय विदेश नीति की ताकत है कि वह अपने आंतरिक मामलों में किसी भी महाशक्ति को हस्तक्षेप करने का मौका नहीं देती। यही कारण है कि जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जंग जैसे हालात थे तब भी भारत ने अमेरिकी हस्तक्षेप को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि रूसी एस-400 मिसाइल का मामला हो या रूस से कच्चे तेल का सौदा भारत ने अमेरिकी हस्तक्षेप को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि ऐसा करके भारत अमेरिका को चुनौती देने की कोशिश करता है, बल्कि वह अपनी विदेश नीति की स्वतंत्रता और निष्पक्षता का निर्वाह करता है।
5- उन्होंने कहा कि चीन और रूस के विरोध के बावजूद भारत क्वाड संगठन का हिस्सा है। इस मामले में उन्होंने चीन के विरोध को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति उसके हितों के अनुरूप है। भारत दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन के अतिक्रमण का घोर विरोधी रहा है। इस मामले में वह अमेरिका के साथ अपने हितों को साझा करता है। आज संपूर्ण विश्व अपने हित को लेकर दो खेमे में बंट जाने के बाद अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा व संप्रभुता को लेकर खतरे का अनुभव कर रहा है। परंतु भारत अपने स्वतंत्र विचार के साथ किसी धुरी में न होकर अपनी जमीन पर विश्व की आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, जो किसी भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में नहीं है।
क्या कहा अमेरिकी सैन्य अफसर ने
पूर्वी लद्दाख में चीन के विस्तारवादी नीति की अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने निंदा की है। अमेरिकी सैन्य अफसर की इस निंदा से चीन तिलमिला गया है। चीन ने अमेरिकी सैन्य अधिकारी की निंदा को 'घिनौना कृत्य' बताते हुए कहा कि कुछ अमेरिकी अधिकारी भारत के साथ उसके संबंधों को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। चीन ने इसे 'आग में घी डालने' वाला कार्य बताया और कहा कि वह भारत के साथ बातचीत के जरिए अपने मुद्दों को उचित तरीके से सुलझाने की क्षमता रखता है। भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी सेना के प्रशांत क्षेत्र के कमांडिंग जनरल चार्ल्स ए फ्लिन ने कहा था कि चीन पूर्वी लद्दाख में भारतीय सीमा के पास तेजी से सैन्य निर्माण कर रहा है और बस्तियां बसा रहा है। चीन का यह कदम न सिर्फ चिंताजनक, बल्कि आंखे खोलने वाला भी है।
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