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डायनासोर के युग के जीवाश्मों
आम लोगों में पुरातन युग के जीवों में डायानासोर (Dinosaurs) का ही कौतूहल होता है. लेकिन इस युग में कई पक्षी (Birds) भी हुआ करते थे. हाल ही में चीन की दीवार के पास जीवाश्मविज्ञानियों (Palaeontology) की टीम ने सौ से भी ज्यादा पक्षियों के जीवाश्वम खोजे हैं जो आज से 12 करोड़ साल पहले रहा करते थे. यह वह समय था जब दुनिया भर में डायनासोर का राज हुआ करता था. बुरी तरह कुचले हुए इन जीवाश्मों में छह का शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया और दो नई प्रजातियों का पता लगाया. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नई खोज से इस इलाकों और संपूर्ण पक्षियों की जानकारी का अधूरापन खत्म हो सकेगा.
दांतों के बारे में नई जानकारी
जर्नल ऑफ सिस्टेमेटिक्स एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और शिकागो के फील्ड म्यूजियम में वर्टीबरेट पेलेओंटोलॉजी के एसोसिएट क्यूरेट चिंगमाई ओ कॉर्नर ने बताया कि इन पक्षियों के दातों के बारे में अनोखी जानकारी मिली है जो किसी दूसरे पक्षी या इस तरह के डायनासोर में देखने को नहीं मिली है.
आधुनिक पक्षियों के नजदीक
कॉर्नर ने बताया कि इन जीवाश्मों का अध्ययन एक बहुत ही लंबा और कष्टकारी प्रक्रिया थी. इन नमूनों में दो नई प्रजातियों की जानकारी क्रिटेशिल काल के पक्षियों के बारे में नई जानकारी मिली है. ये जीवास्व चीन ऐसी जगह से मिले हैं हां पहले भी पक्षियों के जीवाश्म मिलते रहे हैं. ये जीव आधुनिक पक्षियों के काफी नजदीक हैं.
पहले कभी इतनी संरक्षित खोपड़ी नहीं दिखी
इस अध्ययन के सहलेखक और यूटा टेक यूनिवर्सिटी की जेरी हैरिस ने बताया कि अभी तक मिले सभी पक्षी जीवाश्मों इस तरह की खोपड़ी देखने को नहीं मिली है. इससे पक्षियों के विकास के बारे में जो जानकारी का अभाव था उसे पूरा करने में सहायता मिलेगी. इस तरह के जीवाश्म में पहले कभी खोपड़ी इतनी संरक्षित नहीं दिखी.
पक्षी और उनके पूर्वज
जीवों के इतिहास क बात की जाए तो सभी पक्षी डायनासोर हैं लेकिन सभी डायनासोर पक्षी नहीं है. केवल डायनासोर का एक छोटा समूह ही पक्षियों में विकसित हो गया जो 9 करोड़ साल पहले थे. आधुनिक पक्षी महाविनाश से बचे उन्हीं पक्षियों के वंशज हैं. लेकिन बहुत से प्रागैतिहासित पक्षी विलुप्त हो गए थे. ओकॉर्नर का काम इन्हीं शुरुआती पक्षियों का अध्ययन कर यह पता लगाना है कि क्यों कुछ पक्षी बच गए तो कुछ विलुप्त हो गए.
खोपड़ी और गर्दन से पता चली नई प्रजाति
उत्तरपश्चिम चीन चांगमा नाम की जगह पर पक्षियों के बहुत सारे जीवाश्म मिलते हैं. यहां गैनसस यूमेनेनसिस प्रजाति के पक्षियों के सबसे ज्यादा जीवाश्म मिले हैं. जीवाश्म इस प्रजाति का है यह निर्धारण करना भी कठिन काम नहीं है. खोपड़ी और गर्दन के हिस्सों का अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि उन्हें दो नई प्रजातियों की जीवाश्म मिले हैं.
दो नई प्रजातियां
चांगमा में पतली पतली परतों के बीच अलग अलग समय के जीवाश्म मिलते हैं. ऐसा लगता है कि इतिहास के पन्ने पलटे जा रहे हैं. चूंकि जीवाश्व दब कर चपटे हो गए थे इनके सम्पूर्ण हिस्सों का सीटी स्कैन करने में बहुत समय लगा. फिर भी काफी प्रयास के बाद शोधक्रता छह में से दो नमूने के ऐसे जबड़े का पता लगा जो अब तक अनजान थे. ये नई प्रजातियां मीमानाविस डक्ट्रिक्स (called Meemannavis ductrix) और ब्रेविडेन्टाविस झांगी (Brevidentavis zhangi) नाम दिया गया है.
दोनों प्रजाति अधुनिक पक्षियों के समूह वाले ओर्निथुरोमॉर्फ समूह के पक्षी हैं. मीमानाविस जहां बिना दातों के हैं , तो वहीं ब्रेविडेन्टाविस के दांत होते हैं जिसके साथ जबड़े में एक प्रेडेंट्री नाम की छोटी हड्डी होती है जो ठोड़ी की जगह होती है. इससे उनके खानपान के तरीके में बहुत अंतर था और वे इसमें बहुत प्रयोग भी कर सके थे.
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