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चीन ने अपने युद्धक जहाजों को ताइवान की ओर भेजा, फिर दोनों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका

Neha Dani
24 Feb 2022 8:31 AM GMT
चीन ने अपने युद्धक जहाजों को ताइवान की ओर भेजा,  फिर दोनों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका
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उसका कहना है कि वह ताइवान को अपने हिस्से में शामिल कर लेगा.

दुनिया की नजरें जहां रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine Tensions) के बीच छिड़े जंग पर टिकी हुई है. वहीं, चीन (China) ने इसका फायदा उठाते हुए अपने युद्धक जहाजों को ताइवान की ओर भेज दिया है. चीनी युद्धक जहाज ताइवान के जलक्षेत्र में घुस गया है. इससे पहले भी चीन अपने युद्धक जहाजों को ताइवान की ओर भेज चुका है. कुछ महीने पहले ही चीन ने लगातार कुछ दिनों तक ताइवान की ओर अपने लड़ाकू विमानों को भेजा था. चीन का इरादा इसके जरिए ताइवान में डर पैदा करने का था. हालांकि, चीन अपने इरादों में कामयाब नहीं हो पाया. अमेरिका ने ताइवान को कहा कि वह चीन से निपटने में उसकी मदद करेगा.

वहीं, रूस-यूक्रेन के घटनाक्रम को देखते हुए ताइवान में भी बैचेनी बढ़ी हुई है. ताइवान को डर सता रहा है कि जहां दुनिया की नजरें रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग पर टिकी हुई है. वहीं, कहीं चीन इसका फायदा उठाकर ताइवान पर हमला न कर दे. हालांकि, अब ऐसा होता हुआ नजर आने लगा है. चीन ने आज ही अपने युद्धक जहाजों को ताइवान की ओर भेज दिया है. ताइवान की सरकार हमेशा चीन की तरफ से पैदा होने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार रहती है. चीन ताइवान (China-Taiwan) को अपने क्षेत्र के रूप में देखता है और पिछले दो सालों के दौरान स्वशासी द्वीप के पास सैन्य गतिविधियों को तेज कर दिया है.
यूक्रेन को लेकर ताइवान में हुई बैठक
ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Tsai Ing-wen) ने बुधवार को एक बैठक के बाद कहा कि ताइवान को क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों पर अपनी निगरानी और सतर्कता बढ़ानी चाहिए और विदेशी गलत सूचनाओं से निपटना चाहिए. हालांकि उसने सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया. त्साई इंग-वेन ने यूक्रेन से जुड़े मुद्दे पर बैठक की थी. ताइवान की सरकार का कहना है कि द्वीप की स्थिति और यूक्रेन की स्थिति मौलिक रूप से भिन्न है. त्साई ने यूक्रेन की स्थिति के लिए सहानुभूति व्यक्त की है. हालांकि, इधर ताइवान को भी चीन से सैन्य खतरे का सामना करना पड़ रहा है. ताइवान लगातार चीन से निपटने में जुटा हुआ है.
ताइवान की बात करें, तो यह एक गृह युद्ध के बाद 1949 में मुख्य चीनी भूभाग से राजनीतिक रूप से अलग हो गया था. इसके केवल 15 औपचारिक राजनयिक सहयोगी हैं लेकिन वो अपने व्यापार कार्यालयों के जरिए अमेरिका और जापान समेत सभी प्रमुख देशों के साथ अनौपचारिक संबंध रखता है. चीन इस संप्रभु देश मानने से इनकार करता है. उसका कहना है कि वह ताइवान को अपने हिस्से में शामिल कर लेगा.


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