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ड्रैगन की अकड़
लद्दाख में भारत-चीन सीमा के बीच गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. चीन आए दिन नई-नई चालें चलकर परेशानियां पैदा कर रहा है. दोनों देशों के बीच 11 दौर की बातचीत होने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला है. अब जानकारी मिली है कि चीन ने हॉट स्प्रिंग और गोगरा इलाके से हटने से इनकार कर दिया है.
'इंडियन एक्सप्रेस' ने अपनी एक खबर में इस बात का दावा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक 9 अप्रैल को कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान चीन ने इन पोस्ट से अपनी सेना को वापस हटाने से इनकार कर दिया. देपसांग प्लेन समेत इन इलाकों में सैन्य तैनाती की वजह से भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति बीते एक साल से बनी हुई है.
अपनी बात से मुकरा चीन
चीन पहले इन इलाकों से हटने को राजी हो गया था, लेकिन बाद में मुकर गया. इंडियन एक्सप्रेस ने उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से कहा कि हॉट स्प्रिंग और गोगरा में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और PP-17A से चीन पहले हटने को राजी हो गया था. मगर बाद में वह मुकर गया. चीन ने यह भी कहा कि भारत को जितना मिला, उतने में खुश रहना चाहिए.
सैनिकों की संख्या कम की
PP-15 और PP-17A से हालांकि चीन ने अपने सैनिकों की संख्या जरूर कम की है. अभी यहां एक कंपनी नहीं बल्कि प्लाटून तैनात है. एक कंपनी में 100 से लेकर 120 सैनिक होते हैं जबकि प्लाटून में 30-32. पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच दोनों देशों की ओर से पेट्रोलिंग पर अस्थायी रोक लगाई गई थी. सूत्रों ने यह भी कहा कि तनाव शुरू होने के 2-3 साल पहले तक भारत फिंगर 8 तक नहीं पहुंच पाया है. जबकि फिंगर 8 सही मायने में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LOC) को दर्शाती है. देपसांग में भारतीय सेना अपने पुराने गश्त वाले इलाके तक साल 2013 से नहीं पहुंच पा रही है. चीनी सैनिक बार-बार यहां बाधाएं उत्पन्न कर रहे हैं.
डेपसांग को बाद में शामिल किया
सूत्रों ने बताया कि डेपसांग के मुद्दे को सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में बाद में शामिल किया गया. पूरे विवाद के दौरान डेपसांग में कुछ नहीं हुआ. यहां चीनी सैनिक आते हैं और पेट्रोलिंग के हमारे रास्ते में बाधा बनते हैं. चीनी सैनिक रोज अपने वाहन में आते हैं और हमारा रास्ता बंद कर देते हैं. इस वजह से हम पेट्रोलिंग के अपने उच्च स्तर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
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