बीजिंग/केनबरा: चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच प्रशांत महासागर में तनाव बढ़ता ही जा रहा है। चीन का एक फाइटर जेट ने पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के निगरानी विमान पी-8 पोसाइडन के बहुत करीब आ गया और हवा में आग बरसाना शुरू कर दिया। यही नहीं चीनी विमान ने खतरनाक तरीके से हवा में कलाबाजी की और ऑस्ट्रेलियाई विमान के रास्ते में एल्युमीनियम से बने छोटे-छोटे टुकड़े गिराने शुरू कर दिए ताकि वे पी-8 पोसाइडन के इंजन में जाकर फंस जाएं। इससे अगर विमान ने काम करना बंद कर दिया होता तो ऑस्ट्रेलियाई समुद्र में गिरकर डूब जाता।
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्रालय ने चीन के इस दुस्साहस का खुलासा किया है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायुसेना का P-8A पोसाइडन विमान दक्षिण चीन सागर में 26 मई को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में सामान्य सर्विलांस उड़ान पर था। इसी दौरान चीन का जे-16 फाइटर जेट पी-8 विमान के बेहद करीब आ गया। इस चीनी विमान ने फ्लेयर (आग की लपटें) छोड़ी और एल्युमीनियम के टुकड़े गिराए।
खतरनाक तरीके से पीछा करने पर चीन सरकार से जताई चिंता
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने कहा कि संघीय सरकार ने बहुत खतरनाक तरीके से पीछा करने पर चीन सरकार से चिंता जताई है। ऑस्ट्रेलिया सरकार ने कहा कि चीनी विमान की हरकत से ऑस्ट्रेलिया विमान और उसके चालक दल के सदस्यों की जान का खतरा पैदा हो गया। उसने कहा कि हम बहुत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में निगरानी करते आए हैं जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक है।
चीनी फाइटर जेट की इस हरकत के बाद ऑस्ट्रेलिया विमान वापस लौट आया और उसके चालक दल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। रक्षा मंत्री मार्लेस ने कहा कि यह बहुत ही खतरनाक था। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद भी आस्ट्रेलिया के इरादों और गतिविधियों में कोई कमी नहीं आएगी ताकि दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जा सके जो हमारे अपने राष्ट्रीय हित में है।
भारत समेत दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाता है पी-8 विमान
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज को भी इस घटना की जानकारी दी गई। अल्बनीज ने कहा कि इस मुद्दे को चीन सरकार के साथ उठाया गया है। ऑस्ट्रेलिया का यही वही निगरानी विमान पी-8 है जिसका भारतीय संस्करण भारत की नौसेना इस्तेमाल करती है। चीन की समुद्र में हर चाल पर निगरानी रखने में यह अमेरिका निर्मित विमान काफी पसंद किया जा रहा है। दुनिया के कई देश इसे अब खरीद रहे हैं।