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Quad बैठक से पहले बाइडेन के बयान से घबराया चीन, ताइवान की रक्षा की बात कही तो 'ड्रैगन' ने कहा- राष्ट्रीय हितों की करेंगे सुरक्षा

Renuka Sahu
24 May 2022 2:52 AM GMT
China panicked over Bidens statement before the Quad meeting, talking about protecting Taiwan, Dragon said - will protect national interests
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फाइल फोटो 

आज चीन समेत पूरी दुनिया की नजर जापान पर है. राजधानी टोक्यो में QUAD की बैठक होने वाली है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज चीन (China) समेत पूरी दुनिया की नजर जापान पर है. राजधानी टोक्यो में QUAD की बैठक होने वाली है. इंडो पैसिफिक रीजन में किस तरह से नए समीकरण बनेंगे. चीन को काउंटर करने के लिए QUAD किस तरह की स्ट्रैटजी तैयार करेगा, ये देखने वाली बात होगी. वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने ताइवान को लेकर अमेरिका की पॉलिसी में बदलाव के क्लियर कट संकेत दिए. अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध में सीधे तौर पर शामिल नहीं होना चाहता है. लेकिन बाइडेन ने चीन के खिलाफ ताइवान विवाद (China-Taiwan Tensions) में सीधे तौर पर हस्तक्षेप करने की बात कह दी है.

बाइडेन ने कहा कि अगर ताइवान पर चीन ने हमला किया, तो फिर हम ताइवान की रक्षा के लिए मिलिट्री फोर्स का इस्तेमाल करेंगे. हालांकि इस बयान के फौरन बाद व्हाइट हाउस की तरफ से बयान जारी किया गया. इसमें बाइडेन के बयान को कमतर करने की कोशिश हुई. व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने एक चीन नीति की बात की थी और ताइवान स्ट्रेट्स में शांति और स्थिरता की बात को दोहराया. व्हाइट हाउस की तरफ से आगे कहा गया कि ताइवान रिलेशन एक्ट के तहत ताइवान पर खतरे की सूरत मेंअमेरिका सैन्य मदद मुहैया कराएगा. लेकिन चीन ने साफ कर दिया कि ताइवान पर किसी तीसरे का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा क्षेत्रीय अखंडता पर खतरा हुआ तो कार्रवाई करेंगे, जो कहा है वो करके भी दिखाएंगे.
इसका मतलब साफ है कि अमेरिका अब चीन को मिलिट्री फ्रंट पर काउंटर करने की तैयारी कर चुका है. लेकिन सवाल है कि चीन इसका कैसे जवाब देगा. क्योंकि एक्सपर्ट्स बताते हैं कि चीन ने यूक्रेन वॉर को देखते हुए ताइवान पर इंवेजन प्लान को डिले कर दिया. हालांकि उसकी वॉर ड्रिल्स लगातार जारी है. मगर अब बदले हुए माहौल में QUAD और AUKUS के सामने क्या चीन ताइवान के खिलाफ स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन चलाएगा और क्या इसके बाद न्यूक्लियर मुल्कों के आपस में टकराव की संभावना बढेगी. आइए इस बारे में जाना जाए.
बाइडेन ने क्या कहा?
बदले वैश्विक समीकरण में बदलते वर्ल्ड ऑर्डर की चर्चाओं और संभावनाओं के बीच प्रेसिडेंट बाइडेन का ये बहुत बड़ा बयान है. दुनिया के नाम बड़ा मैसेज है. एशिया में सुपरविलेन चीन को सुपरपावर अमेरिका की डायरेक्ट वॉर्निंग है. ये ललकार है, चुनौती है, जिस ताइवान को चीन हड़पना चाहता है उसी की रक्षा के लिए अमेरिका सुरक्षा कवच बनेगा. बाइडेन ने कहा, हम एक चीन नीति से सहमत थे. हमने उस पर हस्ताक्षर किए, और इसी आधार पर सभी समझौते हुए. लेकिन अगर वो ताकत के दम पर 'एक चीन' के विचार को हासिल करना चाहेगा तो ये ठीक नहीं है. फिर अमेरिका का एक्शन वैसा नहीं होगा जैसा यूक्रेन में हुआ.
चीन ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि ताइवान विवाद चीन का आंतरिक मामला है. इसे लेकर चीन किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा. अगर चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और अखंडता पर बात आई तो फिर हम प्रभावी कार्रवाई करेंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि हम अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे. किसी को भी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति को कम करके नहीं आंकना चाहिए. ताइवान चीन का हिस्सा है. ये मुद्दा चीन का आंतरिक मामला है.
दरअसल, यूरोप में यूक्रेन वॉर के नाम पर पुतिन और बाइडेन आमने सामने हैं. पुतिन के खिलाफ अमेरिका यूक्रेन की लगातार सैन्य मदद कर रहा है. किसी भी वक्त यूरोप में न्यूक्लियर हॉटस्पॉट एक्टिव हो सकते हैं. इसी तरह अब ताइवान के नाम पर बाइडेन और जिनपिंग आमने सामने हैं. चीन के खिलाफ अमेरिका पूरी ताकत के साथ ताइवान की रक्षा का मन बना चुका है. चीन के पास भी न्यूक्लियर बम है, तो अमेरिका के पास भी एटमी जखीरा तैयार है. ताइवान को लेकर अमेरिका का ये स्टैंड अभी से नहीं है. अमेरिका चीन की नस नस से वाकिफ है, इसीलिए ताइवान को फुल एंड फाइनल सपोर्ट का ऐलान किया. हालांकि इससे पहले कुछ फीलर्स भी दिए.
कुछ दिन पहले ताइवान में अमेरिकी सांसदों के डेलीगेशन का दौरा किया. अमेरिका की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा दिलाया. अमेरिका और ताइवान के बीच हथियारों की डील पर चर्चा तक हो गई. ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका के रक्षा मंत्रियों की बात हुई. अमेरिका के स्ट्रैटजिक कमांड के चीफ ने ये तक कहा कि चीन यूक्रेन वॉर को स्टडी कर रहा है और ताइवान के खिलाफ न्यूक्लियर ऑप्शन एक्सप्लोर कर सकता है.
ये टाइमलाइन बताती है कि कैसे अमेरिका और चीन के बीच दुश्मनी का दायरा बढ़ गया. मगर बाइडेन के शब्दों ने ताइवान को काफी सुकून दिया. ताइवान की तरफ से कहा गया कि बाइडेन और अमेरिका के स्टैंड का स्वागत करते हैं. उनके सपोर्ट के लिए आभारी हैं. मगर बात यहीं खत्म नहीं होगी. ये तो बस शुरुआत है, क्योंकि अमेरिका के रुख से साफ है कि वो पीछे नहीं हटेगा और चीन ठान चुका है कि वो भी नहीं रुकेगा. दोनों न्यूक्लियर ताकत से लैस मुल्क हैं. इसीलिए अब प्रशांत में एटमी विध्वंस की बातें भी होने लगी हैं.
ग्लोबल टाइम्स में अमेरिका को दी गई चेतावनी
जिस तरह चीन ताइवान को लेकर तेवर दिखा रहा है. जैसे बयान सामने आ रहे हैं. उससे लगता है कि चीन, अब ताइवान को लेकर किसी भी वक्त एग्रेशन दिखा सकता है. इसका सबसे बड़ा सबूत आज ग्लोबल टाइम की तरफ से दिया गयाग्लोबल टाइम्स के टिप्पणीकार हू शिजिन ने चौंकानेवाला स्टेटमेंट जारी किया. चीन के माउथपीस ग्लोबल टाइम्स के फॉर्मर एडिटरकी तरफ से कहा गया कि ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की ताकत अमेरिका से कहीं ज्यादा है. हू शिजिन ने कहा कि बाइडेन का ताइवान को मिलिट्री सपोर्ट देने वाला बयान अमेरिका के लिए घातक साबित होगा. ग्लोबल टाइम्स के फॉर्मर एडिटर की तरफ से दावा किया गया कि क्या बाइडेन अमेरिकी सैनिकों को कॉफिन में भेजना चाहते हैं या फिर उन्हें ताइवान स्ट्रेट्स में मछली का निवाला बनवाना चाहते हैं
इसी बयान के थोड़ी देर बाद चीन की तरफ से एक और एग्रेसिव स्टेप लिया गया. दावा किया गया कि जैसे ही टोक्यो में QUAD समिट खत्म होगी. उसके ठीक बाद दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्री सोलोमन आइलैंड का दौरा करेंगे. इस दौरे के साथ चीन और सोलोमन आइलैंड के बीच नया सिक्योरिटी पैक्ट भी साइन किया जाएगा. कहने का मतलब ये है कि अगर अमेरिका ताइवान में दखल देगातो फिर चीन पैसिफिक ओशियन में रणनीतिक रूप से अहम सोलोमान आइलैंड के जरिए उसका जवाब देगा. हालांकि इस सबके बीच ताइवान को लेकर जापान का बड़ा स्टेटमेंट सामने आया. जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने कहा कि इंडो पैसिफिक में यूक्रेन जैसा प्रयोग नहीं होने देंगे यथास्थिति में कोई भी बदलाव मंजूर नहीं.
ऑस्ट्रेलिया के नए पीएम एंथनी अल्बनीज ने भी चीन पर बड़ा हमला किया. उन्होंने कहा चीन को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं हैचीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के रिलेंशन मुश्किल है. इंडो-पैसिफ़िक रीजन में चीन के खतरनाक सपनों को तोड़ने के लिए कल 13 देशों ने मिलकर एक बड़े संगठन को लॉन्च किया. चीन के आर्थिक दबदबे पर नकेल कसने के लिए Indo-Pacific Economic Framework की लॉन्चिंग की गई है. संगठन का मकसद इंडो-पैसिफ़िक रीजन में अहम संसाधनों और टेक्नॉलजी के लिए चीन पर जरुरत से ज्यादा निर्भरता को कम करना है. इस संगठन का फोकस चीन के इकोनॉमिक वारफेयर को काउंटर करना भी रहेगा.
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