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तालिबान सरकार की मदद को चीन ने खोला खजाना, 310 लाख डॉलर की मदद का एलान

Renuka Sahu
9 Sep 2021 5:02 AM GMT
तालिबान सरकार की मदद को चीन ने खोला खजाना, 310 लाख डॉलर की मदद का एलान
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के 24 घंटे के भीतर चीन ने अपना खजाना खोल दिया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की सरकार बनने के 24 घंटे के भीतर चीन (China) ने अपना खजाना खोल दिया है. चीन ने बुधवार को तालिबान को सरकार चलाने के लिए 310 लाख (31 मिलियन) अमेरिकी डॉलर की मदद का ऐलान किया है. इसके साथ ही चीन अफगानिस्तान के लिए कोरोना वैक्सीन की डोज भी भेज रहा है. चीन ने कहा कि यह मदद अराजकता खत्म करने और व्यवस्था बहाल करने के लिए जरूरी है.

अफगानिस्तान के हालात पर पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में चीन की विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, 'चीन अफगानिस्तान को 200 मिलियन यूआन (31 मिलियन अमेरिकी डॉलर)की मदद के तहत अनाज, सर्दी के सामान, कोरोना के टीके और जरूरत की दवाएं देगा.'
पाकिस्तान की अध्यक्षता में हुई बैठक में ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने शिरकत की. हालांकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की मेजबानी में आयोजित इस बैठक में रूस ने भाग नहीं लिया. वांग यी ने कहा, 'पहली खेप में चीन ने अफगानिस्तान को 30 लाख टीके दान में देने का फैसला किया है.'
चीन ने पहले ही अपील की थी कि दुनिया को तालिबान के साथ मिलकर काम करना चाहिए, इसी कड़ी में आर्थिक मदद को ज़ारी रखना जरूरी है.अफगानिस्तान को दी जाने वाली ये मदद अभी शुरुआती ही है. चीन का कहना है कि तालिबान को अब अफगानिस्तान में हालात सामान्य करने चाहिए.
तालिबान ने भी पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि चीन एक आर्थिक सुपरपॉवर है, ऐसे में वह उसे बड़ा साथी मानता है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक इतालवी अखबार को बताया कि उनका समूह मुख्य रूप से चीन के आर्थिक मदद पर निर्भर है. हाल के दिनों में अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को प्रतिबंधित कर दिया है. जिसके बाद तालिबान को सरकार चलाने के लिए आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में चीन ने मदद का हाथ बढ़ाया है.
इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि चीन तालिबान के जरिए बगराम एयरबेस को हथियाने की चाल चल रहा है. अमेरिका ने अफगान युद्ध के दौरान लगभग 20 साल तक इस एयरबेस का इस्तेमाल किया था.


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