
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के दूसरे फेज के अनुसार दोनों राष्ट्रों के बीच सोमवार को छह नए करार हुए हैं। इस प्रोजेक्ट की आरंभ हुए 10 वर्ष पूरे होने के मौके पर सोमवार को यह करार किए गए। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और चीन के उप पीएम ही लाइफंग ने कागजात पर दस्तखत किए। हिंदुस्तान प्रारम्भ से ही सीपीईसी का विरोध करता आ रहा है। हिंदुस्तान का बोलना है कि यह प्रोजेक्ट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से होकर गुजरता है, जो हिंदुस्तान का हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट हिंदुस्तान की संप्रभुता के विरुद्ध है।
सीपीईसी प्रोजेक्ट के अनुसार पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के झिंजियांग तक सड़क बनाई जा रही है। अब इसके दूसरे फेज का काम प्रारम्भ हो गया है, जिसकी लागत 60 बिलियन $ की बताई जा रही है। इस मौके पर शहबाज शरीफ ने बोला कि अबतक सड़क, पनबिजली और बिजली के क्षेत्र में 25 बिलियन $ का निवेश पाकिस्तान में आ चुका है। अब हम इस प्रोजेक्ट के दूसरे फेज में प्रवेश कर चुके हैं, जिसके अनुसार खेती और आईटी के क्षेत्र में निवेश किया जाना है।
इस मौके पर उप पीएम ही लाइफंग ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पाक की समृद्धि और विकास के लिए चीन के दृढ़ समर्थन का संदेश दिया। ही लाइफंग चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं। उन्होने बोला कि पाकिस्तान-चीन की दोस्ती अनूठी थी और दोनों राष्ट्रों के लोगों के बीच गहरे भाईचारे के संबंधों के कारण यह और गहरी होती चली गई है।
इस वजह से CPEC पर काम कर रहा है चीन
बता दें कि चीन का अधिकतर ट्रेड हिंद महासागर से होकर गुजरता है। उसके लिए हमेशा यह खतरा बना रहता है कि हिंदुस्तान से खराब रिश्तों की स्थिति में उसका इस रूट से व्यापार कर पाना कठिन हो सकता है। यही वजह है कि वो सीपीईसी प्रोजेक्ट के माध्यम से पाकिस्तान होते हुए अरब सागर तक सड़क के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाने में जुटा है।
