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चीन तकनीक के मामले में दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल
पेइचिंग: चीन तकनीक के मामले में दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल है। चीन की तकनीक और वैज्ञानिक कितने उन्नत हैं इसके कई उदाहरण हैं जिनमें से 'कृत्रिम सूर्य परियोजना' एक है। हाल ही में चीन ने अपनी इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) का इस्तेमाल किया है। चीन के हेफेई इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंसेज ने एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामक (EAST) हीटिंग सिस्टम प्रोजेक्ट की शुरुआत की है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी। माना जा रहा है कि यह कदम कृत्रिम सूर्य को और ज्यादा टिकाऊ और गर्म बनाए रखने में मदद करेगा। अब तक चीन अपने कृत्रिम सूर्य या टोकामक के निर्माण में पैसा पानी की तरह खर्च कर चुका है। टोकामक एक इंस्टॉलेशन है जो प्लाज्मा में हाइड्रोजन आइसोटोप को उबालने के लिए उच्च तापमान का इस्तेमाल करता है। यह एनर्जी को रिलीज करने में मदद करता है।
2040 तक बिजली निर्माण चीन का मिशन
रिपोर्ट के मुताबिक इसके सफल इस्तेमाल से बहुत कम ईंधन का इस्तेमाल होगा और लगभग 'शून्य' रेडियोएक्टिव कचरा पैदा होगा। इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज्मा फिजिक्स के डेप्युटी डायरेक्टर सांत यूंताओ ने कहा कि आज से पांच साल बाद हम अपना फ्यूजन रिएक्टर बनाना शुरू करेंगे, जिसके निर्माण में और 10 साल लगेंगे। उसके बनने के बाद हम बिजली जेनरेटर का निर्माण करेंगे और करीब 2040 तक बिजली पैदा करना शुरू कर देंगे।
असली से 10 गुना ज्यादा गर्म चीन का नकली सूर्य
इस आर्टिफिशियल सिस्टम में इस्तेमाल किया गया परमाणु संलयन पहली बार 2006 में संचालित किया गया था। इस सिस्टम ने जून 2021 में 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस पर पहुंचकर और सूर्य से 10 गुना ज्यादा गर्म होकर रेकॉर्ड बनाया था। चीन के आर्टिफिशियल सूर्य में लगे न्यूक्लियर फ्यूजन (Nuclear Fusion) रिएक्टर ने शुरू होते ही विश्व रिकॉर्ड बना दिया था। इस रिएक्टर ने 100 सेकेंड तक 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान पैदा किया था।
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