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चीन ने रिसर्च प्रकाशित करने और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है

Rounak Dey
11 Aug 2022 2:36 PM GMT
चीन ने रिसर्च प्रकाशित करने और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है
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चीन के साथ मुकाबला करने के लिए अगले 10 वर्षों में 200 अरब अमेरिकी डॉलर प्रदान किया जाएगा।

चीन ने रिसर्च प्रकाशित करने और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। जापान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अपने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरे विश्व में जितने रिसर्च पेपर प्रकाशित होते हैं उसमें चीन की सबसे बड़ी हिस्सेदारी होती है। द गार्डियन के अनुसार, इस रिपोर्ट को जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (NISTP) ने मंगलवार को प्रकाशित किया था, जिसमें बताया गया है कि चीन अब एक साल में सबसे ज्यादा रिसर्च पेपर ( research papers) प्रकाशित करता है। इसके बाद रिसर्च पेपर प्रकाशित करने में अमेरिका और जर्मनी का स्थान आता है।


चीन ने प्रकाशित किया सबसे ज्यादा रिसर्च
मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में analytics firm Clarivate द्वारा साल 2018 और साल 2022 के बीच आंकड़ों को इकट्ठा कर तैयार किया गया है। जापान के NISTP रिपोर्ट में पाया गया है कि विश्व में प्रकाशित होने वाले रिसर्च पेपर में अकेले चीन 27.2 प्रतिशत रिसर्च को प्रकाशित करता है। रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व में प्रकाशित होने वाले रिसर्च पेपर में अमेरिका ने 24.9 प्रतिशत रिसर्च प्रकाशित किया। मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस शोध में इंग्लैंड 5.5 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर था। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने एक साल में लगभग 407,181 रिसर्च पेपर प्रकाशित किए, जबकि अमेरिका ने इसी दौरान 293,434 शोध पत्र प्रकाशित किया। चीन के द्वारा प्रकाशित रिसर्च विश्व में प्रकाशित रिसर्च का 23.4 प्रतिशत है।

इस विषय में सबसे ज्यादा प्रकाशित हुए रिसर्च

द गार्डियन के मुताबिक, चीन ने इंजीनियरिंग, गणित, सामग्री विज्ञान (materials science) में सबसे ज्यादा रिसर्च प्रकाशित किया है, जबकि अमेरिकी शोधकर्ता clinical medicine,बुनियादी जीवन विज्ञान (basic life sciences) और फिजिक्स में सबसे ज्यादा रिसर्च किए हैं।

मालूम हो कि, जापान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को उसी दिन प्रकाशित किया, जिस दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चिप्स और साइंस एक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। इस कानून के माध्यम से अमेरिकी वैज्ञानिकों को चीन के साथ मुकाबला करने के लिए अगले 10 वर्षों में 200 अरब अमेरिकी डॉलर प्रदान किया जाएगा।

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