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ताइवान जलडमरूमध्य पर दावा करने का चीन को अधिकार नहीं: ताइपे
jantaserishta.com
17 Feb 2025 12:16 PM

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ताइपे: ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को दोहराया कि ताइवान जलडमरूमध्य में नौवहन की स्वतंत्रता है और चीन को इस पर संप्रभुता का दावा करने का कोई अधिकार नहीं। इससे पहले चीन ने रविवार को ताइवान जलडमरूमध्य से गुजरने वाले कनाडाई युद्धपोत पर आपत्ति जताई थी।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, "ताइवान जलडमरूमध्य किसी भी तरह से 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' की संप्रभुता के अधीन नहीं है! समान विचारधारा वाले देशों की नौवहन की स्वतंत्रता इसकी कानूनी स्थिति को साबित करती है।" रक्षा मंत्रालय ने कहा, "ताइवान और उसके पड़ोसियों के खिलाफ चीन की सैन्य कार्रवाइयां केवल यही दर्शाती हैं कि चीन क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।"
पोस्ट में आगे कहा गया, "आज सुबह 6 बजे तक ताइवान के आसपास 41 पीएलए विमान, 9 पीएलएएन जहाज और 1 आधिकारिक जहाज का पता चला। 41 में से 28 उड़ानें मीडियन लाइन को पार कर गईं और ताइवान के उत्तरी, मध्य और दक्षिण-पश्चिमी एडीआईजेड में प्रवेश कर गईं। हमने स्थिति पर नजर रखी है और जवाब दिया है।" ताइवान ने कहा कि उसे रविवार को 24 चीनी सैन्य विमानों की गतिविधियों का पता चला जब एक कनाडाई युद्धपोत ताइवान जलडमरूमध्य से गुजरा।
कनाडाई नौसैनिक फ्रिगेट 'एचएमसीएस ओटावा' रविवार सुबह ताइवान जलडमरूमध्य से गुजरा। इससे कुछ दिन पहले दो अमेरिकी जहाज भी जलडमरूमध्य से गुजरे थे। कनाडाई फ्रिगेट ने ताइवान जलडमरूमध्य को दक्षिण से उत्तर की ओर पार किया तब ताइवानी सशस्त्र बलों ने आसपास के समुद्र और हवाई क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखा, जिससे स्थिति सामान्य बनी रही।
इस बीच, चीन, ने कनाडा द्वारा जलडमरूमध्य से युद्धपोत भेजने पर आपत्ति जताई है। बता दें बीजिंग ताइवान जलडमरूमध्य और ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है। चीन का कहना है कि वह ताइवान जलडमरूमध्य में किसी भी तरह की गश्त का विरोध करता है और इसे सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
हाल के वर्षों में, बीजिंग ने ताइवान पर दबाव बढ़ाने के लिए ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य अभ्यास बढ़ा दिया है। दूसरी ओर, ताइवान और उसके सहयोगी ताइवान जलडमरूमध्य को एक अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग मानते हैं और नियमित रूप से इससे युद्धपोत भेजते हैं, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव स्थापित किया जा सके और चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला किया जा सके।
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