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चीन ने तिब्बत की तरह ही शिनजियांग को भी स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर रखा है।
दुनिया के नक्शे पर चीन एक ऐसा देश है, जो अपने पड़ोसी मुल्कों की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर सबसे ज्यादा विवादों में रहता है। दरअसल चीन दुनिया के नक्शे पर सबसे ज्यादा, 14 देशों के साथ अपनी सीमा साझा करता है। ड्रैगन ने अपनी विवादास्पद विस्तार वादी नीति के तहत सभी पड़ोसी देशों की जमीन पर या तो कब्जा कर रखा है या कब्जे का प्रयास करता रहता है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत के सीमावर्ती राज्यों और नेपाल व भूटान देश पर कब्जे को चीन की विवादित 'फाइव फिंगर पॉलिसी' के नाम से जाना जाता है। चीन की ये नीति इतनी विवादित है कि वह आधिकारिक तौर पर इसका उल्लेख नहीं करता है, लेकिन इस दिशा में हमेशा प्रयासरत रहता है।
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है चीन
चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा जिन 14 देशों से मिलती है, उसमें भारत, अफगानिस्तान, भूटान, कजाखिस्तान, किग्रिस्तान, लाओस, मंगोलिया, म्यांमार (बर्मा), नेपाल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं। इन सभी देशों के साथ चीन का सीमा विवाद है या पूर्व में रहा है। इसके अलावा चीन का ताइवान, फिलीपींस, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, ब्रुनेई और तिब्बत के साथ भी सीमा विवाद है। चीन की सरहद भले 14 देशों से मिलती हो, लेकिन इसका सीमा विवाद 22 देशों से रहा है। फिलहाल चीन का अपने पड़ोसी देशों संग 18 जगहों पर सीमा विवाद चल रहा है। रूस और कनाडा के बाद चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा (97,06,961 वर्ग किलोमीटर) देश है। इसकी 22,117 किमी लंबी सीमा 14 देशों से जुड़ी हुई है। चीन का इन सभी देशों से किसी न किसी तरह का सीमा विवाद चल रहा है।
ताइवान के खिलाफ गलत जानकारियां वायरल कर रहा चीन
कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आने के बाद बिगड़ी स्थिति
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने 1949 में देश की सत्ता संभाली। इसके बाद चीन ने तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और इनर मंगोलिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद 1997 में हांगकांग और 1999 में मकाउ पर चीन ने कब्जा कर लिया। ताइवान, पूर्वी तुर्किस्तान, तिब्बत, इनर मंगोलिया या दक्षिणी मंगोलिया, हांगकांग और मकाउ को चीन अपने नक्शे में दिखाता है। इन छह देशों में चीन ने तकरीबन 41,13,709 वर्ग किमी जमीन पर कब्जा किया है, जो चीन के कुल क्षेत्रफल का लगभग 43 फीसदी है। ये सभी देश लंबे अर्से से अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत हैं। चीन का जमीन पर ही नहीं समुंद्र में भी सीमा विवाद है। चीन 35 लाख वर्ग किमी में फैले पूरे दक्षिणी चीन सागर पर अपना हक जताता है। यहां पर चीन, रनवे सहित अपना कृत्रिम टापू भी बना चुका है।
रूस ने भारी कीमत चुका निपटाया सीमा विवाद
रूस उन कुछ देशों में शामिल है, जिसने चीन संग अपना सीमा विवाद काफी हद तक सुलझा लिया है। हालांकि इसके लिए रूस को अपनी कई नदियों और द्वीप को हमेशा के लिए खोकर भारी कीमत चुकानी पड़ी।
समुद्र में चीन का सीमा विवाद
चीन से सटे समुद्री इलाके में दो विवादित क्षेत्र हैं। पहले में चीन, ताइवान, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ब्रुनेई की समुद्री सीमाएं शामिल हैं। दूसरे में चीन, ताइवान और वियतनाम का समुद्री इलाका शामिल है। जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
ताइवान - चीन, पूरे ताइवान को अपना क्षेत्र बताता रहा है। ताइवान समुद्री टापू पर बसा एक देश है, जो पूर्व में कभी जापान तो कभी चीन का हिस्सा रहा है। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी और कॉमिंगतांग पार्टी के बीच राजनीतिक विद्रोह व हिंसा की वजह से करीब 73 वर्ष पहले (1949 में) ताइवान द्वीप अलग देश के रूप में अस्तित्व में आया। चीन की कॉमिंगतांग पार्टी के लोगों ने ही कम्युनिस्ट पार्टी के हाथों मिली हार के बाद इस द्वीप पर शरण लेकर जान बचाई थी। विस्तार से पढ़ें - क्या है चीन ताइवान विवाद और कैसे अमेरिका बना इसका हिस्सा
फिलीपींस - चीन और फिलीपींस के बीच भी समुद्री सीमा को लेकर विवाद है। इस क्षेत्र में चीन, स्कारबोरो रीफ और स्प्रैटली द्वीप समूह को कब्जाने के प्रयास में जुटा है। चीन इसे अपना हिस्सा बताता रहा है, वहीं फिलीपींस दोनों द्वीपों पर अपना दावा करता है। इस विवाद में अमेरिका फिलीपींस का समर्थन कर चुका है।
इंडोनेशिया - चीन और इंडोनेशिया के बीच भी समु्द्री क्षेत्र को लेकर विवाद है। चीन, नटून द्वीप समूह और दक्षिण चीन सागर के कई अन्य हिस्सों पर कब्जा करने में लगा है। चीन इस क्षेत्र में कई बार घुसपैठ कर चुका है, जिसका इंडोनेशिया ने विरोध किया है।
वियतनाम - इस देश से भी चीन का समुद्री सीमा का विवाद है। चीन, वियतनाम के बड़े हिस्से पर अपना दावा करता है। इसमें पैरासेल आइलैंड, स्प्रैटली आइलैंड और दक्षिण चीन सागर का कुछ क्षेत्र शामिल है। यहां भी चीन कई बार अपनी दादागिरी दिखा चुका है।
मलेशिया - चीन और मलेशिया का विवाद मुख्य रूप से स्प्रैटली द्वीप समूह को लेकर है। चीन यहां भी कई बार घुसपैठ कर चुकी है। वर्ष 2020 में चीन ने जब यहां सैन्य दखलअंदाजी की तो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने मलेशिया के समर्थन में विवादित समुद्री क्षेत्र में अपने युद्धपोत भेज चीनी सेना को खदेड़ा था।
जापान - मौजूदा ताइवान पर जापान का 60 वर्ष तक कब्जा रहा है। दूसरे विश्व युद्ध में चीन ने इस पर फिर से अपना कब्जा कर लिया था। हालांकि जापान के साथ चीन का मौजूदा समुद्री सीमा विवाद ताइवान को लेकर नहीं है। फिलहाल इन दोनों देशों के बीच समुद्री विवाद की वजह सेनकाकू द्वीप समूह और रयूकू द्वीप समूह है। चीन, जापान के अधिकार क्षेत्र वाले इन द्वीपों पर भी अपना दावा करता रहा है। जापान को डराने के लिए चीन इस समुद्री क्षेत्र में कई बार अपनी नौसेना उतार चुका है।
दक्षिण कोरिया - पूर्वी चीन सागर में दक्षिण कोरिया और चीन, सोकोट्रा रॉक या सुयॉन रॉक को लेकर काफी समय से संघर्षरत हैं। दक्षिण कोरिया इन इलाकों को अपना विशेष आर्थिक क्षेत्र बताता है। वहीं चीन इसे अपना इलाका बता वक्त-वक्त पर घुसपैठ का प्रयास करता रहता है।
उत्तर कोरिया - चीन और उत्तर कोरिया के बीच विवाद की मुख्य वजह जापान सागर का इलाका है। दक्षिण कोरिया और चीन के बीच राजनयिक संबंध बढ़ने के बाद दोनों देश इस क्षेत्र में लगभग 1400 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं। यही उत्तर कोरिया और चीन के बीच तनाव की मुख्य वजह है।
सिंगापुर - चीन और सिंगापुर के बीच दक्षिण चीन सागर के कुछ इलाकों को लेकर विवाद है। दोनों देशों ने जून-2019 में समुद्री सहयोग के लिए समझौता किया था। बावजूद इस क्षेत्र में इनका सीमा विवाद कायम है।
ब्रुनेई - चीन और ब्रुनेई के बीच स्प्रैटली द्वीप समूह के कुछ हिस्सों और समुद्र के दक्षिणई हिस्सों को लेकर कुछ जगह पर सीमा विवाद है।
पड़ोसी देशों से चीन का भूमि विवाद
भारत - चीन ने अरूणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ इलाकों को मिलाकर कुल 43 हजार वर्ग किमी जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है। पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में जून 2020 में चीनी सेना, भारतीय सीमा में काफी अंदर तक घुस आई थी। भारतीय सेना ने विरोध किया तो चीनी सैनिक भिड़ गए। दोनों तरफ के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई। इसमें 20 भारतीय सैनिकों और चीन के करीब 40 सैनिकों की मौत हुई थी। भारत की सीमा पर कब्जा करने के लिए चीन कई बार सैन्य कार्यवाही कर चुका है।
नेपाल - नेपाल के कुछ हिस्से को चीन तिब्बत का क्षेत्र बताकर अपना हिस्सा होने का दावा करता है। इसी वर्ष जून में चीन ने नेपाल के रुई गांव को तिब्बत का हिस्सा बताते हुए कब्जा कर लिया था।
भूटान - चीन भूटान के कई हिस्सा और पूर्वी क्षेत्र के एक बड़े हिस्से को अपना बताता रहा है। चीन ने खुद 5 जुलाई 2020 को भूटान के साथ सीमा विवाद की बात स्वीकार की थी। चीन का दावा था कि 1986 के बाद भूटान से पहली बार उसका सीमा विवाद हुआ है।
लाओस - ताइवान की तरह चीन लाओस को भी अपने देश का ही हिस्सा बताता रहा है।
मंगोलिया - मंगोलिया में मौजूद भीतरी मंगोलिया (इनर मंगोलिया) एक स्वायत्त क्षेत्र है। चीन इस पर भी अपना हक जताता है। इस वजह से भीतरी मंगोलिया और चीन के बीच सीमा विवाद है। इसे लेकर वर्ष 2015 में दोनों देश आमने-सामने आ गए थे।
म्यांमार - चीन का म्यांमार संग वर्ष 1960 में एक समौझात हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों की 2185 किलोमीटर लंबी सीमा आपस में मिलती है। हालांकि म्यामांर, चीन पर सीमा विवाद खड़ा करने और आतंकी संगठनों को उसके खिलाफ भड़काने का आरोप लगाता रहा है।
तिब्बत - इस इलाके में चीन का भूमि विवाद काफी पुराना है। चीन ने वर्ष 1950 में इस हिमालयी देश पर कब्जा कर लिया। उस वक्त तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा और उनके अनुयायियों को जान बचाने के लिए भारत में शरण लेनी पड़ी। इस विवाद में भारत हमेशा तिब्बत का साथ देते हुए उसकी स्वायत्ता का पक्षधर रहा है।
पूर्वी तुर्किस्तान - चीन ने 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान पर कब्जा कर लिया था। ड्रैगन इसे शिनजियांग प्रांत के नाम से अपने देश का हिस्सा बताता है। यहां की कुल जनसंख्या में 45% उइगर मुस्लिम और 40% हान चीनी नागरिक हैं। उइगर मुस्लिम तुर्किक मूल के माने जाते हैं। चीन ने तिब्बत की तरह ही शिनजियांग को भी स्वायत्त क्षेत्र घोषित कर रखा है।
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