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चीन भारत के खिलाफ सीमा पर रहा है आक्रामक, कहा- सरकार को जावबदेह होना होगा

Neha Dani
21 Oct 2021 10:35 AM GMT
चीन भारत के खिलाफ सीमा पर रहा है आक्रामक, कहा- सरकार को जावबदेह होना होगा
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वैश्विक स्वास्थ्य और निरस्त्रीकरण समेत ऐसे मामलों में चीन के साथ सहयोग करेगा, जो उसके हित में हैं.

चीन के अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा नामित निकोलस बर्न्स ने कहा कि चीन हिमालयी सीमा पर भारत के खिलाफ आक्रामक रहा है और अमेरिका को चीन सरकार को नियमों का पालन नहीं करने की स्थिति में जवाबदेह बनाना होगा (US on China). बर्न्स ने चीन में अमेरिकी राजदूत के रूप में अपने नाम की पुष्टि संबंधी सुनवाई के दौरान सीनेट की विदेश संबंधों से जुड़ी समिति के सदस्यों से बुधवार को कहा कि चीन को जहां चुनौती देने की आवश्यकता है, अमेरिका उसे वहां चुनौती देगा.

उन्होंने कहा कि जब भी चीन अमेरिकी मूल्यों एवं हितों के खिलाफ कदम उठाएगा, अमेरिका या उसके सहयोगियों की सुरक्षा को खतरा पैदा करेगा या नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करेगा, अमेरिका उसके खिलाफ कदम उठाएगा (US on India China Dispute). बर्न्स ने कहा, 'चीन हिमालयी सीमा के पास भारत के खिलाफ, दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, फिलीपींस और अन्य के खिलाफ, पूर्वी चीन सागर में जापान के खिलाफ आक्रामक रहा है (China India Conflict Reasons). उसने ऑस्ट्रेलिया और लिथुआनिया को डराने-धमकाने की मुहिम चलाई है.'
चीन ने ताइवान को धमकाया
उन्होंने आगे कहा, 'चीन द्वारा शिनजियांग में नरसंहार और तिब्बत में उत्पीड़न करना, हांगकांग की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता का गला घोंटना और ताइवान को धमकाना अन्यायपूर्ण है और इसे रोकना चाहिए.' बर्न्स ने कहा कि ताइवान के खिलाफ बीजिंग की विशेष रूप से हालिया कार्रवाई आपत्तिजनक है (China's Aggression Against India) और अमेरिका को अपनी 'एक चीन नीति' का (One China Policy) पालन करना जारी रखने का अधिकार है.
एकतरफा कार्रवाई का विरोध सही
उन्होंने कहा, 'हमारा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथास्थिति एवं स्थिरता को कमजोर करने वाली एकतरफा कार्रवाई का विरोध करना भी उचित है.' बर्न्स ने कहा कि अमेरिका नौकरियों एवं अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे संबंधी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों समेत उन क्षेत्रों में चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा करेगा, जहां ऐसा करने की जरूरत है (India China Conflict) और वह जलवायु परिवर्तन, मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई, वैश्विक स्वास्थ्य और निरस्त्रीकरण समेत ऐसे मामलों में चीन के साथ सहयोग करेगा, जो उसके हित में हैं.

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