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भारत से झड़प कराने वाले कमांडर को चीन ने विदेश मामलों की समिति में दिया अहम पद

Neha Dani
2 March 2021 2:11 AM GMT
भारत से झड़प कराने वाले कमांडर को चीन ने विदेश मामलों की समिति में दिया अहम पद
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बदले में चीन ने उन्हें जेल में बंद कर दिया था.

चीन ने जनरल झाओ जोंगकी को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) की प्रभावशाली विदेश मामलों की समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है. वह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पूर्व शीर्ष अधिकारी हैं जो भारत के साथ लगती सीमा (Indian Border) पर तैनात थे. जनरल झाओ 2017 में डोकलाम गतिरोध (Doklam Faceoff) और 2020 में लद्दाख (Ladakh) गतिरोध के दौरान सेना की पश्चिम कमान के प्रमुख थे.

पीएलए के नियमों के मुताबिक चीन में शीर्ष जनरल के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल है. एनपीसी की तरफ से जारी आधिकारिक घोषणा के मुताबिक जनरल झाओ को एनपीसी के प्रभावशाली विदेश मामलों की समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. एनपीसी की पांच मार्च से शुरू हो रही वार्षिक बैठक से पहले यह नियुक्ति की गई है.
पश्चिमी थियेटर कमान के प्रमुख झाओ
एनपीसी और चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस (सीपीपीसीसी) सलाहकार निकाय है जिनकी वार्षिक बैठक एक हफ्ते के लिए होगी. जनरल झाओ के स्थान पर पिछले वर्ष दिसंबर में जनरल झांग शुडोंग को नियुक्त किया गया था. 2017 के डोकलाम गतिरोधक के दौरान झाओ पश्चिमी थियेटर कमान के प्रमुख थे.
उस दौरान भूटान के दावे वाले एक इलाके में भारतीय सीमा के नजदीक पीएलए द्वारा सड़क बनाने की योजना का भारतीय सेना ने विरोध किया था. लद्दाख गतिरोध भी जनरल झाओ के कार्यकाल में हुआ. पिछले साल मई में यह तब शुरू हुआ जब चीन ने पूर्वी लद्दाख सीमा के पास सैन्य अभ्यास के लिए हजारों की संख्या में अपने सैनिकों को भेज दिया जिसके बाद भारत के साथ उसका तनाव बढ़ गया.
गलवान हिंसक झड़प से बढ़ा विवाद
पिछले वर्ष पांच मई से शुरू हुए गतिरोध के बाद पिछले महीने भारत और चीन की सेना पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से के अधिकतर विवादित स्थानों से पीछे चली गई है और पूर्वी लद्दाख के अन्य क्षेत्रों से वापसी के लिए वार्ता कर रही है.
दोनों देशों के बीच विवाद तब बढ़ गया जब पिछले साल जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. हाल ही चीन ने बताया था कि इस झड़प में उसके भी चार जवान मारे गए थे. चीन के इस दावे पर उसी के पत्रकारों और ब्लॉगरों ने सवाल उठाए थे. बदले में चीन ने उन्हें जेल में बंद कर दिया था.


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