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चीन कोविड के वास्तविक प्रभाव को कम करके दिखा रहा: डब्ल्यूएचओ

jantaserishta.com
5 Jan 2023 3:35 AM GMT
चीन कोविड के वास्तविक प्रभाव को कम करके दिखा रहा: डब्ल्यूएचओ
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जिनेवा (आईएएनएस)| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि चीन देश में कोविड-19 महामारी के असली प्रभाव को कम करके दिखा रहा है, खासकर मौतों की सही संख्या को सावर्जनिक नहीं किया जा रहा। बीबीसी के मुताबिक बुधवार को एक बयान में डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपात कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक माइकल रयान ने कहा, हम मानते हैं कि कोविड से हुई मौतों का सही विवरण नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चीन के आंकड़े अस्पताल में भर्ती होने, आईसीयू में भर्ती होने और विशेष रूप से मौतों के मामले में बीमारी के वास्तविक प्रभाव को कम दर्शाते हैं।
इस बीच चीन ने कोविड-19 के मामलों और मौतों के लिए एक दिन की गणना प्रकाशित करना बंद कर दिया है।
दिसंबर 2022 में देश ने कोविड से होने वाली मौत के मानदंड को बदल दिया। अब केवल सांस की बीमारियों से मरने वालों की कोविड में गिनती की जाती है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार रेयान ने अपने बयान में कहा कि चीन ने हाल के सप्ताहों में डब्ल्यूएचओ के साथ अपने जुड़ाव में वृद्धि की है और कहा कि वह अधिक व्यापक डेटा प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं।
लेकिन उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि व्यक्तिगत स्वास्थ्यकर्मी अपने स्वयं के डेटा और अनुभवों की रिपोर्ट कर सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ के शीर्ष अधिकारी के हवाले से कहा गया, हम इन मौतों और इन मामलों की रिपोर्ट करने वाले डॉक्टरों और नर्सों को हतोत्साहित नहीं करते हैं। समाज में बीमारी के वास्तविक प्रभाव को रिकॉर्ड करने में सक्षम होने के लिए हमारे पास एक खुला ²ष्टिकोण है।
ब्रिटेन की विज्ञान डेटा कंपनी एयरफिनिटी का अनुमान है कि चीन में एक दिन में दो मिलियन से अधिक कोविड मामले आते हैं और लगभग 14,700 मौतें होती हैं।
चूंकि चीन ने लगभग एक महीने पहले अपनी शून्य-कोविड नीति को खत्म कर दिया था, इसलिए यहां अस्पतालों और श्मशान घाटों के भरे होने की खबरें आ रही हैं।
भारत सहित एक दर्जन से अधिक देशों ने चीन से यात्रियों पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है, बीजिंग इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित होने की बात कहते हुए इसकी आलोचना की है।
मामलों में उछाल के बावजूद चीन में किसी नए कोविड वैरिएंट का पता नहीं चला है।
हालांकि डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि ऐसा टेस्टिंग में कमी के कारण हो सकता है।
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