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चीन ताइवान को हथियार बेचने वाली अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का किया फैसला

Deepa Sahu
26 Oct 2020 3:03 PM GMT
चीन ताइवान को हथियार बेचने वाली अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का किया फैसला
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ताइवान को हथियारों की बिक्री को लेकर अमेरिका के साथ बढ़ रहे तनाव के बीच चीन ने अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ताइवान को हथियारों की बिक्री को लेकर अमेरिका के साथ बढ़ रहे तनाव के बीच चीन ने अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। चीन ने सोमवार को कहा कि वह ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने के कारण बोइंग और लॉकहीड मार्टिन समेत शीर्ष अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाएगा। चीन ने इस फैसले के पीछे राष्ट्रीय हितों का हवाला दिया है।

बता दें कि ताइवान बड़े पैमाने पर अमेरिका से हथियार खरीदता है। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक अरब डॉलर लागत वाली 135 एसएलएएम-ईआर मिसाइल और संबंधित उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दी है। इसके साथ ही अमेरिका ने 43.61 करोड़ डॉलर की लागत से 11 रॉकेट सिस्टम एम142 लॉन्चर और संबंधित उपकरण तथा 36.72 करोड़ डॉलर की लागत से एमएस-110 रेकी पॉड और संबंधित उपकरण की बिक्री को भी मंजूरी दी है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'चीन कई मौकों पर कह चुका है ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री करना 'एक चीन नीति' की अवहेलना करने के साथ ही संप्रभुता और सुरक्षा हितों को धता बताना है। हम इसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं।'

उन्होंने कहा, अपने हितों की रक्षा के लिए हमने जरूरी कदम उठाने का फैसला किया है। हम हथियारों की बिक्री में शामिल अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी लगाएंगे। लिझियान ने कहा कि जिन अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा उनमें बोइंग, लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन का नाम भी शामिल है।

हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि प्रतिबंध से इन कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच ज्यादा रक्षा सहयोग नहीं है। झाओ ने कहा कि चीन अमेरिका से 'एक चीन' सिद्धांत का पालन करने और ताइवान के साथ किसी भी प्रकार के हथियार सौदे पर रोक का आग्रह करता है। उन्होंने कहा, 'अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए हम आवश्यक कदम उठाना जारी रखेंगे।'

बता दें कि चीन और ताइवान 1949 के गृहयुद्ध में विभाजित हो गए थे और उनके बीच कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं है। चीन दावा करता है कि लोकतांत्रिक नेतृत्व वाला द्वीप उसके मुख्य भू-भाग का हिस्सा है। चीन उस पर आक्रमण की धमकी देता है।

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