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सैनिकों को CHINA बना रहा 'सुपर सोल्‍जर' जैसा ताकतवर, कैप्‍टन अमेरिका बनाने में जुटा ड्रैगन

Neha Dani
6 Dec 2020 7:08 AM GMT
सैनिकों को CHINA बना रहा सुपर सोल्‍जर जैसा ताकतवर, कैप्‍टन अमेरिका बनाने में जुटा ड्रैगन
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लद्दाख से लेकर ताइवान तक पड़ोसियों की जमीन पर कब्‍जे की फिराक में लगा चीन अब कथित |

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| लद्दाख से लेकर ताइवान तक पड़ोसियों की जमीन पर कब्‍जे की फिराक में लगा चीन अब कथित रूप से इस मिशन को पूरा करने के लिए अपने सैनिकों को 'कैप्‍टन अमेरिका' जैसा ताकतवर बनाने में जुट गया है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पीएलए सैनिकों को सुपर सोल्‍जर बनाने के लिए चीन ने इंसानी परीक्षण शुरू कर दिया है। चीन को उम्‍मीद है कि इन परीक्षणों के जरिए जैविक रूप से ज्‍यादा ताकतवर सैनिकों को बनाया जा सकता है जो जंग के मैदान में आम सैनिकों पर भारी पड़ेंगे। डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन में मई तक राष्‍ट्रीय खुफिया निदेशक रहे जॉन रैटक्लिफ ने यह चेतावनी दी है। आइए जानते हैं, क्‍या है पूरा मामला....

​'अमेरिका के लिए आज सबसे बड़ा खतरा बना चीन'
वॉल स्‍ट्रीट जनरल में लिखे अपने लेख में रैटक्लिफ ने चेताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका और शेष मुक्त विश्व के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा है। रेटक्लिफ ने लिखा, 'खुफिया विभाग स्पष्ट है कि पेइचिंग का इरादा अमेरिका और बाकी दुनिया पर आर्थिक, सैन्य और तकनीक के लिहाज से दबदबा बनाने का है।' उन्होंने कहा कि चीन के कई बड़े पहल और कई बड़ी कंपनियां सिर्फ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की गतिविधियों का छद्म रूप है और वह इस तरह के बर्ताव को जासूसी और डकैती करार देते हैं। रेटक्लिफ ने कहा कि चीन ने अमेरिका की कंपनियों की बौद्धिक संपदाएं चुराई हैं, उनके तकनीक की प्रतिकृतियां तैयार कीं और फिर वैश्विक बाजार में अमेरिकी कंपनियों की जगह ले ली।
​'चीन बना रहा सुपर सोल्‍जर, कर रहा परीक्षण'
रैटक्लिफ ने कहा, 'चीन ने इस आस में पीपल्‍स ल‍िबरेशन आर्मी के सैनिकों पर कई इंसानी परीक्षण किए हैं कि उन्‍हें जैविक रूप से ज्‍यादा ताकतवर सैनिक बनाया जा सकेगा। शक्ति की भूख को पूरा करने के ल‍िए चीन की कोई नैतिक सीमा नहीं है।' रैटक्लिफ के इस दावे पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने कोई प्रतिक्र‍िया नहीं दी है। अमेरिका के एनबीसी न्‍यूज के मुताबिक चीन के ये 'सुपर सोल्‍जर' हॉलीवुड फिल्‍म 'कैप्‍टन अमेरिका' और 'यूनिवर्सल सोल्‍जर' की तरह से होंगे। पिछले साल ही अमेरिका के दो विद्वानों ने एक शोधपत्र लिखा था जिसमें उन्‍होंने बॉयोटेक्‍नॉलजी के युद्धक्षेत्र में इस्‍तेमाल करने की चीनी मंशा का परीक्षण किया था। इसमें उन्‍होंने कहा था कि चीन जीन एडिटिंग तकनीक का इस्‍तेमाल करके इंसान (संभवत: सैनिक) की क्षमता को काफी बढ़ाने में काफी रुचि रखता है।


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