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चीन रोक सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध, इन 3 हथियारों पर बनाए हुए है नजर

Renuka Sahu
7 March 2022 4:56 AM GMT
चीन रोक सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध, इन 3 हथियारों पर बनाए हुए है नजर
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फाइल फोटो 

हर गुजरते दिन के साथ रूस और यूक्रेन का युद्ध घातक होता जा रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर गुजरते दिन के साथ रूस और यूक्रेन का युद्ध (Russia Ukraine War) घातक होता जा रहा है. जो ना केवल यूक्रेन के लोगों के लिए बड़ा खतरा है बल्कि ये यूरोप और पूरी दुनिया के भविष्य को भी प्रभावित करेगा. इस समय दुनिया में केवल एक ही देश है, जो यूक्रेन पर तेजी से हो रहे रूस को हमलों को रोक सकता है. वो देश कोई और नहीं बल्कि चीन (China) है. अगर चीन तटस्थ रहने के बजाय रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले देशों में शामिल हो जाए या केवल यूक्रेन (Ukraine) पर हुए आक्रमण का विरोध करते हुए रूसी सैनिकों की वापसी की मांग करे, तो भी ये युद्ध थम सकता है. अगर नहीं, तो हमलों की रफ्तार जरूर कम हो सकती है.

लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ऐसा कतई नहीं करेंगे. क्योंकि जिस तरह पुतिन यूक्रेन को हासिल करना चाहते हैं, ठीक उसी तरह से चीन भी ताइवान पर कब्जा चाहता है. इसलिए वो रूस के समर्थन में खड़ा दिख रहा है. चीन इस समय अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वो व्यापार के बलबूते ही ये सब कर रहा है. चीन के रणनीतिकार एक पुरानी सोच में भी विश्वास रखते हैं. जिसके तहत इनका कहना है कि हर युद्ध अपने साथ नई चीजें लेकर आता है, जैसे लड़ाई के नए तरीके और ऐसे में यूक्रेन के युद्ध में भी कई नई चीजें होंगी. जिनकी तरफ चीन नजर बनाए हुए हैं.
तीन हथियारों पर चीन की नजर
रूस जिस तरह यूक्रेन में घुस रहा है और हथियारों को तैनात कर रहा है और जिस तरह से यूक्रेन इसका मुहंतोड़ जवाब दे रहा है, उसमें बहुत कुछ ऐसा है, जो पहले कभी देखा नहीं गया. इस दौरान कम से कम तीन नए तरह के हथियार इजाद हुए हैं. ये वही हथियार हैं, जो ताइवान पर कब्जे के दौरान कल को चीन के खिलाफ इस्तेमाल हो सकते हैं. इनमें पहला हथियार आर्थिक प्रतिबंध है. यूरोपीय संघ और ब्रिटेन सहित तमाम देशों ने रूस पर ऐसे प्रतिबंध लगाए हैं जो उसकी अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल रहे हैं. रूस की कंपनियां तक इससे नहीं बच पा रहीं.
करीबी से नजर रख रहा चीन
दूसरी नई चीज ये देखी गई कि दुनिया के ताकतवर लोग, कंपनियां और सोशल एक्टिविस्ट ग्रुप भी अपनी तरफ से रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. बिना सरकार के किसी आदेश के. शायद ही कभी इस बड़े और शक्तिशाली देश को राजनीतिक रूप से इतने प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है. तीसरा हथियार नया और पुराना दोनों है. पश्चिमी देशों ने अपनी आवाज को फिर से तलाश लिया है. इन्होंने एक बार फिर फ्री वर्ल्ड की बात कही. अमेरिका और लिबरल समाज अकसर ऐसे मसलों पर अलग-अलग राय लिए ही दिखे हैं. ऐसे में चीन इस पूरी स्थिति की करीबी से निगरानी कर रहा है. क्योंकि जिस तरह के विरोध का सामना इस समय रूस कर रहा है, उसका सामना कल को चीन को भी करना पड़ सकता है.
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