अमेरिका का कहना है कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के बावजूद अमेरिका के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में साफ किया है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए वह भारत के साथ रक्षा साझेदारी बढ़ाएगा.
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को लेकर जारी नए दस्तावेजों में कहा कि रक्षा विभाग चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए भारत के साथ रक्षा साझेदारी बढ़ाएगा. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगा कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र में बिना किसी रोक-टोक के आवाजाही हो सके.
चीन लगातार इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बनाए हुए है. दक्षिण चीन सागर में चीन ने मजबूत सैन्य पैठ बना ली है जबकि वह ताइवान पर लगातार दबाव बनाए हुए है. अमेरिका ने चेताया कि चीन इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी गठबंधनों को कमतर करने के लिए काम कर रहा है और लगातार अपने पड़ोसियों पर आक्रामक हो रहा है. पेंटागन की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूस, अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है. रूस के परमाणु हथियार, साइबर ऑपरेशन और लंबी दूरी की मिसाइलें बहुत बड़ा खतरा है. एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि चीन बल का प्रयोग करने का प्रयास नहीं करे. उदाहरण के लिए ताइवान पर कब्जा करने के लिए.
बाइडेन सरकार के एक अन्य रक्षा अधिकारी ने बताया कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चीन की आक्रामक रणनीति बहुत गंभीर चुनौती है. अमेरिका का कहना है कि रूस भी अमेरिका के लिए खतरा बना हुआ है. पेंटागन का कहना है कि चीन के साथ रूस की बढ़ती नजदीकियों पर हम नजर रखे हुए हैं. एक रक्षा अधिकारी ने कहा, अमेरिका के लिए चीन और रूस दोनों ही सभी क्षेत्रों में खतरा बने हुए हैं. हमें आतंकी समूहों से खतरों को लेकर भी चौकस बने रहना होगा. इस बीच उत्तर कोरिया, ईरान सहित अन्य खतरों से भी सावधान रहना होगा.
भारत के साथ संबंधों के सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के उनके तत्कालीन समकक्ष जॉर्ज बुश के बीच 2005 में हुए परमाणु समझौते के बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं. दोनों देशों के पास रक्षा क्षेत्र में बहुत अच्छा अवसर है.