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चीन का आक्रामक रवैया
चीन के आक्रामक रवैये के चलते ताइवान की ओर यूरोप का झुकाव बढ़ गया है। यह बात एक यूरोपीय सांसद ने कही है। वह गत सप्ताह इस स्वशासित द्वीपीय क्षेत्र का दौरा करने वाले यूरोपीय सांसदों के दल में शामिल रहे। बता दें कि चीन, ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और इसे धमकाने के लिए आक्रामक रवैया अपना रखा है। चीनी लड़ाकू विमान अक्सर ही ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करते हैं।
यूरोपीय सांसद राफेल ग्लुक्समैन ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल के दौरे का उद्देश्य दुनिया को यह संदेश देना था कि यूरोप की सभी राजनीतिक शक्तियां ताइवान के साथ जुड़ाव के महत्व को समझ गई हैं। फ्रांस के राजनेताओं ने चीनी दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए ताइवान के प्रयासों की सराहना की है। ग्लुक्समैन ने कहा कि एकाधिकार वादी सत्ता के खिलाफ लोकतांत्रिक देशों का एकजुट होना न केवल यूरोपीय संघ के हित में है बल्कि यह सिद्धांत का भी मुद्दा है।
कुछ समय पहले चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 'ताइवान के पुन: एकीकरण की अनिवार्यता' की एक तरह से धमकी दी है। ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग वेन ने चिनफिंग की इस धमकी का जवाब देते हुए दो टूक लहजे में कहा कि उनका देश चीनी दबाव के आगे कभी नहीं झुकेगा और हर हाल में अपने लोकतांत्रिक जीवन की रक्षा करेगा। बीजिंग के प्रति सख्त रवैये ने साई को घरेलू स्तर पर बहुत लोकप्रिय बना दिया है।
अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में ताइवान को जितनी तवज्जो मिल रही है, उतनी बीते कुछ दशकों के दौरान कभी नहीं मिली। जहां ताइवान के पक्ष में सकारात्मक माहौल बना है, वहीं चीन की प्रतिष्ठा घटी है। इसके बावजूद ताइवान के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ी है, क्योंकि बीजिंग द्वारा आक्रामक सैन्य शक्ति के प्रदर्शन का सिलसिला आने वाले दिनों में और बढ़ने की आशंका है। उन्होंने अपने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को खासा महत्व देकर उसे अपनी ढाल बनाया है।
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