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नई दिल्ली: अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चिढ़े चीन ने मंगलवार को ताइवानी स्वतंत्रता का कट्टर समर्थक होने का आरोप लगा ताइवान के सात बड़े नेताओं व अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया। स्वशासित ताइवान को चीन अपने देश का हिस्सा मानता है, न कि अलग देश।
चीन के ताइवान मामलों के अधिकारी ने बताया कि जिन लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें अमेरिका में ताइवान के राजदूत सिआओ बी-खिम, ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव वेलिंगटन कू, ताइवानी संसद के वाइस स्पीकर साई ची-चांग, सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के उप महासचिव लिन फी-फैन, न्यू पावर पार्टी की सांसद व अध्यक्ष चेन जिआयू-हुआ शामिल हैं। वहीं बीते दिसंबर में चीन ने ताइवानी प्रधानमंत्री सु सेन-चांग, ताइवानी संसद के अध्यक्ष यू सि-कुन और विदेश मंत्री जोसेफ वू पर प्रतिबंध लगाया था। प्रतिबंधित सूची में शामिल लोग व उनके परिवार के सदस्य चीन, हांगकांग व मकाऊ में यात्रा नहीं कर सकेंगे।
वहीं, इस पर अपनी प्रतिक्रिया में ताइवानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ताइवान में लोकतंत्र है, उसे चीन से प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। इस बीच, प्रतिबंधित सूची में शामिल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के उप महासचिव लिन फी-फैन ने कहा कि चीन की सूची में शामिल होना सम्मान की बात है। ताइवान की चीन मामलों की परिषद ने कहा है कि चीन क्षेत्र में तनाव बढ़ा रहा है।
पेंघू द्वीप के फुटेज को ताइवान ने बताया चीन की अतिशयोक्ति
चीनी सेना द्वारा जारी पेंघू द्वीप के एक फुटेज को ताइवान ने बढ़चढ़कर दिखाया गया बताया है। पेंघू में ताइवान का मुख्य एयरबेस है। फुटेज में दर्शाया गया है कि चीनी यूद्धपोत पेंघू के बहुत नजदीक हैं, ताइवान ने कहा कि यह सत्य नहीं है। चीन दबाव बनाने की रणनीति के तहत ऐसा कर रहा है।
ताइवान स्ट्रेट में यथास्थिति बदलना चाहता है चीन : अमेरिका
एएनआइ एजेंसी के अनुसार, अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता नेड प्राइस ने सोमवार को कहा कि चीन ताइवान स्ट्रेट में यथास्थिति को बदलना चाहता है। अमेरिका की यह टिप्पणी अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के ताइवान यात्रा के बाद आया है।
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