अमेरिकी सीनेट की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन और अमेरिका में ठन गई है। ऐसे में जाहिर है कि यूक्रेन संघर्ष में रूस को घेरने के बाद अब नाटो NATO की नजर चीन पर टिकी होगी। इसके लिए नाटो के सदस्य देश जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ अपना सहयोग और बढ़ाने की दिशा में अग्रसर हैं। इसका संकेत इस बात से भी जाता है कि नाटो की मैड्रिड में हुई बैठक में इन चारों एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के नेताओं ने शिरकत किया था। मैड्रिड की इस बैठक में यह तय हो गया था कि नाटो का अगला निशाना चीन होगा। नाटो अब चीन की आक्रामकता का मुहंतोड़ जवाब देने के मूड में दिख रहा है। चीन की दादागीरी पर अंकुश लगाने के लिए नाटो एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुट गया है। आइए जानते हैं कि अमेरिका और नाटो को चीन से क्या खतरा है। आखिर चीन उसके निशाने पर क्यों है।