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बच्‍चों में मानसिक रोगों का खतरा होगा कम, अगर पैरेंट्स रखें इस बात का ध्‍यान

Renuka Sahu
16 Jun 2022 3:35 AM GMT
Children will be less prone to mental diseases, if parents keep this in mind
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फाइल फोटो 

बचपन की शुरुआत अगर खेलकूद और मौज-मस्ती के साथ हो, तो बच्चे स्वस्थ और जिंदादिल होते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बचपन की शुरुआत अगर खेलकूद और मौज-मस्ती के साथ हो, तो बच्चे स्वस्थ और जिंदादिल होते हैं। विज्ञानियों ने भी माना है कि सुखद बचपन ही स्वस्थ जीवन का आधार है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि प्ले स्कूल में दोस्तों संग खेलकूद बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में काफी सहायक होता है। इससे बच्चों में मानसिक रोगों का खतरा भी बेहद कम हो जाता है। इस निष्कर्ष को चाइल्ड साइकियाट्री एंड ह्यूमन डेवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि हमउम्र बच्चों संग खेलने से जहां टीम भावना विकसित होती है, वहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी दीर्घकालीन सकारात्मक असर पड़ता है।

1700 बच्चों के डाटा का विश्लेषण
इस अध्ययन के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 1700 बच्चों के डाटा का विश्लेषण किया जब वे तीन और सात साल के थे। तीन साल की उम्र में हमउम्र संग खेलने वाले बच्चों में चार साल बाद कम मानसिक समस्याओं के लक्षण दिखे। अभिभावकों और शिक्षकों ने भी बताया कि ऐसे बच्चे अन्य बच्चों के साथ तालमेल बिठाते दिखे व उनके बीच लड़ाई या असहमति की आशंका कम हो गई।
अभिभावक दें ध्यान
विज्ञानियों ने ऐसे बच्चों के उपसमूहों पर ध्यान केंद्रित किया जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम में थे। इन मामलों में गरीबी का स्तर, गर्भावस्था के दौरान या मां बनने के तुरंत बाद किसी प्रकार की चिंता या गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट पर भी विचार किया गया। विज्ञानियों ने बताया कि बच्चों के मानसिक विकास के लिए खेलकूद, व्यायाम और समान उम्र के बच्चों संग तालमेल बेहतर स्वास्थ्य की नींव के समान है। अभिभावकों को इसके लिए बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है। माता-पिता को इसकी पहल करनी चाहिए कि उनके बच्चे नियमित रूप से प्री स्कूल के दौरान खेलकूद में हिस्सा लें।
सीखते हैं दोस्ती करना
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में प्ले इन एजुकेशन, डेवलपमेंट एंड लर्निंग के डा. जेनी गिब्सन बताते हैं कि साथ खेलने से बच्चे अपने साथियों से बेहतर तालमेल बिठाते हैं और मजबूत दोस्ती का कौशल हासिल करते हैं। जब वे बड़े होते हैं तब अपने नेटवर्क से वे मानसिक संबल प्राप्त करते हैं। पीएचडी छात्र और अध्ययन के प्रथम लेखक विकी येरान झाओ के मुताबिक, खिलाड़ियों संग खेलने से सहयोग की भावना विकसित होती है। विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने से मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है।
बढ़ती है सहयोग की भावना
शोधकर्ताओं ने आस्ट्रेलिया में 1,676 बच्चों के डाटा का अध्ययन किया। ये बच्चे आस्ट्रेलिया में ही मार्च 2003 और फरवरी 2004 के बीच पैदा हुए। यह देखा गया कि अभिभावकों ने तीन वर्ष की उम्र में बच्चों को किस परिस्थिति में खेलने का अवसर दिया। ऐसे खेल में लुकाछिपी, कल्पनाशील नाटक, लक्ष्य निर्धारित गतिविधियां और ब्लाक बनाना आदि शामिल हैं। विज्ञानियों ने बच्चों की क्षमता की भी जांच की और उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए अभिभावकों को प्रेरित किया। बच्चों के समूहों की उत्पादकता को समझने के लिए कई स्तर पर जांच की गई। शोधकर्ताओं ने कई स्तरों पर जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि साथ-साथ खेलना और सहयोग की भावना का सकारात्मक असर पड़ता है। लेकिन आमतौर पर अभिभावक बच्‍चों के खेलने से ज्‍यादा पढ़ाई पर ध्‍यान देते हैं। ऐसे में नए शोध के मुताबिक, अगर अभिभावक बच्‍चों को पढ़ाई के साथ खेलने-कूदने का भी पूरा मौका दें, तो उनमें मानसिक रोगों को खतरा कम हो जाएगा।
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