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जर्मनी ने अवैध रूप से दाखिल होकर शरणार्थी का दर्जा पाने की चाहत रखने वाले 42 अफगानियो को डिपोर्ट कर
जर्मनी ने अवैध रूप से दाखिल होकर शरणार्थी का दर्जा पाने की चाहत रखने वाले 42 अफगानियो को डिपोर्ट कर अफगानिस्तान वापस भेज दिया है। इन सभी को लेकर एक चार्टड विमान स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 7:48 पर काबुल एयरपोर्ट पर उतरा। जर्मनी की तरफ से वर्ष 2016 से अब तक डिपोर्ट किए गए लोगों को लेकर आने वाली ये 39वीं फ्लाइट थी।
डीपीए का कहना है कि जर्मनी से अब तक 1077 अफगानियों को शरणार्थी न मानते हुए डिपोर्ट किया जा चुका है। आमतौर पर जर्मनी से इस तरह की फ्लाइट हर माह ही आती है लेकिन मई में इस बार किसी भी विमान को इस तरह से नहीं भेजा या था। इस बार इसको कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया था। ऐसा अफगानिस्तान में सुरक्षा की कमी को देखते हुए किया गया था।
जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय का कहना है कि अफगानिस्तान से 1 मई को अमेरिकी फौज की वापसी को देखते हुए वहां पर सुरक्षा को लेकर कुछ इश्यू था। उनका कहना था कि अफगान प्रशासन अमेरिका सेना की गैरमौजूदगी में सुरक्षा को बढ़ाने की जरूरत महसूस कर रहा था। आपको बता दें कि अमेरिका और तालिबान के बीच पिछले वर्ष पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका को अपनी और नाटो सेनाओं को 1 मई तक वापस लेकर जाना था, लेकिन राष्ट्रपति बाइडन ने इसकी समय सीमा आगे बढ़ा दी थी। आपको बता दें कि जर्मनी द्वारा डिपोर्ट किए गए लोगों पर विवाद भी होता रहा है। ऐसा कहने वालों का मानना है कि अफगानिस्तान एक युद्ध ग्रस्त क्षेत्र है जहां पर शरणार्थियों को जबरन वापस भेजना उनकी जान से खिलवाड़ करने जैसा है।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में लगभग रोज ही तालिबान के हमले हो रहे हैं। इसके अलावा इस्लामिक मिलिशिया भी यहां पर काफी सक्रिय है। तालिबान और अफगान सरकार के बीच जारी शांति वार्ता के बावजूद भी इस तरह के हमलों में कोई कमी नहीं आ रही है। दोनों ही तरफ से तनाव काफी अधिक है। अमेरिकी फौज की वापसी के बाद यहां पर अनिश्चितता का माहौल होने की आशंका जताई जाती रही है। तालिबान और अफगान सेनाओं के हमले ने हालातों को और अधिक खराब किया हुआ है। मई से अब तक तालिबान अफगानिस्तान के 11 जिलों पर दोबारा अपना कब्जा जमा चुका है।
तालिबान की लगातार बढ़ती ताकत के मद्देनजर अफगान सेना कमजोर पड़ रही है। उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़ रहे हैं। लगभग हर रोज ही देश की राजधानी काबुल किसी न किसी धमाके से दहल उठता है। कोरोना महामारी ने देश की स्थिति और अधिक खराब कर दी है। यहां पर शांति से रहने लायक कोई जगह नहीं बची है। हाल में यहां पर कोरोना संक्रमण के मामलों में भी तेजी आई है।
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