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भारत के लिए चाबहार पोर्ट बेहद अहम, विदेश मंत्रियों ने की कई मसलों पर बातचीत

Neha Dani
9 Jun 2022 9:40 AM GMT
भारत के लिए चाबहार पोर्ट बेहद अहम, विदेश मंत्रियों ने की कई मसलों पर बातचीत
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एक प्रतिनिधि और समावेशी राजनीतिक प्रणाली की आवश्यकता को दोहराया।

भारत और ईरान ने मध्य एशिया सहित क्षेत्र के लिए एक ट्रांजिट हब के तौर पर चाबहार पोर्ट के विकास पर सहयोग जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है और कहा कि दोनों देशों के प्रतिनिधि प्रमुख पोर्ट के परिचालन पहलुओं को संबोधित करने के लिए जल्द ही मिलेंगे।

भारत के लिए चाबहार पोर्ट बेहद अहम
भारत के लिए चाबहार पोर्ट बेहद अहम है क्योंकि इस पोर्ट के जरिए भारत पाकिस्तान को बायपास करते हुए अफगानिस्तान और ईरान सहित मध्य एशिया के देशों तक पहुंच सकता है। यह पोर्ट क्षेत्र के लिए एक कमर्शियल ट्रांजिट हब के रूप में भी उभरा है। यह क्षेत्र के लैंड लॉक्ड देशों के लिए भारत और ग्लोबल मार्केट तक पहुंचने का एक अधिक किफायती और स्थिर मार्ग है।
विदेश मंत्रियों ने की कई मसलों पर बातचीत
अपनी यात्रा के दौरान ईरानी विदेश मंत्री होसैन आमिर अब्दुल्लाहियन ने पीएम नरेंद्र मोदी से और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ भी बैठक की। अगस्त 2021 में इब्राहिम रईसी के राष्ट्रपति बनने के बाद ईरानी विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन की यह पहली भारत यात्रा है। ईरानी विदेशी मंत्री संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) से संबंधित मौजूदा स्थिति के बारे में विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर को जानकारी दी। दोनों मंत्रियों ने यूक्रेन संघर्ष और इसके नतीजे पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
यूक्रेन संघर्ष को लेकर भी हुई बात
ईरानी विदेशी मंत्री संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) से संबंधित मौजूदा स्थिति के बारे में विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर को जानकारी दी। दोनों मंत्रियों ने यूक्रेन संघर्ष और इसके नतीजे पर विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने ईरान में रहने वाले अफगान नागरिकों को कोविड टीकों की आपूर्ति सहित अफगानिस्तान को भारत की चिकित्सा सहायता की सुविधा में ईरान की भूमिका की सराहना की।
चर्चा में रहा अफगानिस्तान
भारत और ईरान ने अफगानिस्तान सहित अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मसलों पर भी बातचीत की और पक्षों ने अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने के महत्व की पुष्टि की और शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान के समर्थन में एक प्रतिनिधि और समावेशी राजनीतिक प्रणाली की आवश्यकता को दोहराया।

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