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पाकिस्तान में महिलाओं के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार की एक बेहद ही शर्मसार करने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
पाकिस्तान में महिलाओं के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार की एक बेहद ही शर्मसार करने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अकेले सिंध प्रांत में ही महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की 10,000 शिकायतें दर्ज हुई हैं। जबकि पाकिस्तान के हैदराबाद शहर में 2018 से अब तक 6,325 मामले महिला अधिकार हनन के दर्ज हुए हैं।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इसी तरह पंजाब महिला हेल्पलाइन को इस साल अब तक 4,649 शिकायतें मिली हैं। आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन पर की गई अधिकांश शिकायतें पारिवारिक विवादों के बाद लिंग आधारित हिंसा और कार्यस्थल पर उत्पीड़न से संबंधित थीं।
रिपोर्ट में सिंध और पंजाब में महिलाओं के अधिकार की रक्षा के लिए काम कर रहे अधिकारियों ने देश को महिलाओं व उनके अधिकारों के लिए नर्क बताया है। मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब प्रांत में सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज हैं, जो देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुल मामलों का 73 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान में महिलाओं को हर दिन एक बदतर हालात का सामना करना पड़ रहा है।
सुरक्षा को लेकर महिलाओं में डर
पाकिस्तान में महिलाओं की हालत इसी से पता चलती है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर बुरी तरह डरी रहती हैं। लाहौर में 14 अगस्त को एक युवती से करीब 400-500 पुुरुषों द्वारा किए गए यौन दुर्व्यवहार का मामला पूरी दुनिया में पाक को शर्मसार कर चुका है। एक अन्य वीडियो में दो महिलाओं को एक व्यस्त सड़क पर खुले रिक्शे में बैठा दिखाया गया है। तभी एक आदमी पायदान पर कूदकर उनसे अभद्रता करता है।
नया कानून पाक को तानाशाह जिया हक के दौर में ले जाएगा
पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार देश में नया कानून पाक मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएमडीए) को लागू करने जा रही है। इस कानून का सहारा लेकर वह देश में मीडिया पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। इसे लेकर पाकिस्तानी मीडिया में बहस चल पड़ी है। देश के नामचीन पत्रकारों और मीडिया घरानों ने कहा है कि इससे प्रेस की आजादी खतरे में पड़ जाएगी।
द न्यूज इंटरनेशनल ने लिखा है कि पाकिस्तान में सूचना मंत्रालय का पीएमडीए लागू करने का फैसला देश को सैन्य तानाशाह जनरल जिया उल हक के युग में वापस खींच ले जाएगा। जिया के शासन में समाचार सामग्री छापने से पहले अनुमति लेना पड़ती थी। प्रसिद्ध पत्रकार अजहर अब्बास ने लिखा इस कानून के आने पर हालात शायद जिया शासन से भी बदतर हो जाएं। इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार जाहिद हुसैन ने डॉन अखबार के एक कॉलम में लिखा, जिया के शासन में अक्सर अखबारों में खबरों के कुछ कॉलम खाली ही रह जाते थे जो बताते थे कि इन खबरों को निकाला गया है। हुसैन ने कहा, इससे मीडिया उत्पीड़न बढ़ेगा।
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