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ब्राजील में कोविड से मौत के मामले हुए कम, 90 फीसदी लोगों का टीकाकरण पूरा

Neha Dani
3 Nov 2021 11:36 AM GMT
ब्राजील में कोविड से मौत के मामले हुए कम, 90 फीसदी लोगों का टीकाकरण पूरा
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वह अतीत में वायरस को एक मामूली फ्लू भी कह चुके हैं.

ब्राजील में कोरोना वायरस से मौत के मामलों में अब कमी देखने को मिल रही है. यहां फरवरी 2020 में पहला मामला सामने आने के बाद 31 अक्टूबर को सबसे कम मौत हुई हैं. ये जानकारी ब्राजील के वैज्ञानिक संस्थान ओसवाल्डो क्रूज फाउंडेशन ने दी है (Brazil Coronavirus Infections). एक अधिकारी के अनुसार, ब्राजील के 'मनीटोरा कोविड-19' प्लैटफॉर्म पर अक्टूबर के पिछले सात दिन में औसतन 311 मौत दर्ज की गई हैं. ये आंकड़ा 28 अप्रैल, 2020 के बाद सबसे कम है. तब मृत्यु दर औसतन 325 तक पहुंच गई थी

ब्राजील में इस साल 12 अप्रैल को कोरोना वायरस से रिकॉर्ड संख्या में मौत दर्ज की गई थीं. तब यहां 3100 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि जून के अंत तक इस संख्या में कमी आने लगी. मृत्यु दर कम होने के पीछे का कारण बडे़ स्तर पर हुए टीकाकरण को माना जा रहा है. देश की 74.7 फीसदी आबादी को कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक डोज मिल गई है. जबकि 54.9 फीसदी लोगों का पूरी तरह टीकाकरण हो गया है (Brazil Coronavirus Death Numbers). जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार, ब्राजील में मरने वालों की संख्या बढ़कर 607,922 हो गई है और करीब 2.2 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं.
90 फीसदी लोगों का टीकाकरण पूरा
देश के सबसे बड़े शहरों में से एक साओ पौलो में 100 फीसदी वयस्कों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग गई है, जबकि 90 फीसदी वयस्कों का पूरी तरह टीकाकरण हो गया है. आंकड़े बताते हैं कि एक डोज लेने वाले ब्राजीलियाई लोगों की संख्या अमेरिकियों से अधिक है (Vaccination in Brazil). जिसके चलते बीते चार महीनों से मौत के आंकड़े में कमी आती दिख रही है. हालांकि विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि डेल्टा वेरिएंट के कारण यहां एक और लहर आ सकती है.
बोल्सोनारो के खिलाफ हुए प्रदर्शन
ब्राजील में कोरोना वायरस का प्रबंधन ठीक से नहीं करने को लेकर राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो (Jair Bolsonaro) के खिलाफ खूब विरोध प्रदर्शन हुए हैं. सरकार ने वायरस को नियंत्रित करने के लिए क्या किया, इसकी जांच करने के लिए सीनेट कमिटी का गठन किया गया है (Covid 19 Probe in Brazil). इसके अलावा ब्राजील के राष्ट्रपति पर भी आरोप लगते हैं कि वह कोरोना वायरस से जुड़ी गलत जानकारी लोगों को देते हैं. वह अतीत में वायरस को एक मामूली फ्लू भी कह चुके हैं.
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