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फाइल फोटो
लालच देकर भारत से अमेरिका मजदूरों की तस्करी करने के आरोप में फंसे एक हिंदू संगठन का मामला अब चार राज्यों में फैल गया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लालच देकर भारत से अमेरिका मजदूरों की तस्करी करने के आरोप में फंसे एक हिंदू संगठन का मामला अब चार राज्यों में फैल गया है. आरोप है कि बीएपीएस स्वामी नारायण संस्था 1.20 डॉलर प्रतिदिन की मजदूरी देकर मंदिर बनवा रही थी.अमेरिका के न्यू जर्सी में स्वामी नारायण संस्था पर चल रहा मानव तस्करी का मुकदमा अब चार और राज्यों में फैल गया है. पहली बार संस्था पर मई में तब मुकदमा दर्ज हुआ था जब न्यू जर्सी के रॉबिन्सविल में कथित तौर पर बन रहे मंदिर में लोगों से अमानवीय हालात में काम कराने का आरोप लगा. बाप्स के अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने मंदिर निर्माण में लगे मजदूरों से जबरन कॉन्ट्रैक्ट पर साइन कराए.
बताया गया कि सुरक्षा गार्डों की निगरानी में मजदूरों से 12-12 घंटे काम करवाया जा रहा था और छुट्टी भी नहीं दी जा रही थी. भारत का प्राचीन मंदिर बना युनेस्को धरोहर मुकदमे के मुताबिक इन मजदूरों को आर-1 वीजा पर न्यू जर्सी ले जाया गया था. यह वीजा धार्मिक पेशों जैसे पुजारी आदि के लिए होता है. पिछले महीने मुकदमे में संशोधन किया गया और अन्य राज्यों के मजदूरों को भी इसमें जोड़ा गया. मुकदमे के मुताबिक ये मजदूर भारत के हाशिये पर रहने वाले समुदायों से हैं. मजदूरों का दावा है कि उन्हें कैलिफॉर्निया, शिकागो, टेक्सस और अटलांटा के मंदिरों में भी प्रताड़ित किया गया.
आरोप निराधारः बाप्स बाप्स ने इन सारे आरोपों को गलत बताया है. संस्था के वकील पॉल फिशमैन ने एक ईमेल से भेजे बयान में कहा, "अमेरिका में सरकारी अधिकारियों ने आर-1 वीजा को पिछले बीस साल से पत्थर पर नक्काशी करने वाले कलाकारों के लिए अधिकृत किया हुआ है. संघीय, राज्य और स्थानीय स्तर के अधिकारी सभी निर्माण स्थलों पर लगातार दौरा करते रहे हैं, जहां इन कलाकारों ने स्वयंसेवा दी." अन्य राज्यों के मजदूरों का कहना है कि उनसे उतने घंटे काम नहीं कराया गया जितना न्यू जर्सी में काम कर रहे मजदूरों से कराया गया, लेकिन उन्हें न्यूनतम मजदूरी से कहीं कम पैसा दिया गया. मुकदमे में वादी बने कई मजदूर ऐसे हैं जिन्होंने एक से ज्यादा मंदिरों के निर्माण में काम किया है. आरोप पत्र के मुताबिक कुछ मजदूरों ने तो आठ-नौ साल काम किया है.
'धमकियां भी दी गईं' न्यू जर्सी के बाहर रॉबिन्सविल में बन रहे मंदिर में काम करने वाले मजदूरों की तरह अन्य राज्यों के मजदूरों ने भी आरोप लगाया है कि उन्हें उनके पासपोर्ट रखने की इजाजत नहीं थी, उन्हें बड़े हॉल में सुलाया जाता था और सुरक्षा गार्ड उनकी निगरानी करते थे. मुकदमे में कहा गया, "रॉबिन्सविल मंदिर और अन्य जगहों पर भी बचाव पक्ष ने मजदूरों को जानबूझ कर ऐसा यकीन दिलाया कि यदि वे काम और मंदिर के परिसर को छोड़ने की कोशिश करेंगे तो उन्हें गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंच सकता है." जिन सारे हिंदू मंदिरों का जिक्र मुकदमे में है, वे बीएपीएस से जुड़े हैं, जो डेलावेयर में एक कॉरपोरेशन के तौर पर रजिस्टर्ड है. यह संस्था भारत में अक्षरधाम मंदिर के लिए जानी जाती है. वीके/एए (एपी).
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