Canada News: इंदिरा गांधी की हत्या की बरसी मनाने वाले खालिस्तान समर्थकों को कनाडा के सांसद चंग्र आर्या ने फटकार लगाई है और ऐसे खालिस्तानियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सांसद चंद्र आर्या ने इंदिरा गांधी की खून से लथपथ साड़ी में कटआउट निकालकर परेड निकालने वाले खालिस्तानियों के खिलाफ देश की सरकार से सख्त एक्शन लेने का आह्वान किया है।
चंद्र आर्य ने एक ट्विटर पोस्ट में "घृणित परेड" निकालने वाले समूह की आलोचना करते हुए कहा, कि "कनाडा में खालिस्तान समर्थक हाल ही में ब्रैम्पटन परेड में एक घृणित परेड निकालकर निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। फ्लोट ने खून से लथपथ सफेद साड़ी में अपने कटआउट के साथ भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाया और उनके अंगरक्षक के कटआउट ने हत्यारों को ब्रांडिंग और बंदूक की ओर इशारा किया। यह वह नहीं है, जिसके लिए हमारा देश कनाडा खड़ा है।"
फ्लोट कथित तौर पर 4 जून को कनाडाई शहर ब्रैम्पटन में आयोजित एक परेड का हिस्सा था। कनाडा में बढ़ती "हिंदू-विरोधी और भारत-विरोधी नफरत" के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान करते हुए, सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद ने कहा, कि "हिंसा का महिमामंडन और नफरत को सार्वजनिक रूप से बढ़ावा देना हमारे देश की हर बात के खिलाफ है। खालिस्तान समर्थकों ने एक रेखा पार कर ली है, और कनाडा को इसका जवाब देना चाहिए।" उन्होंने कहा कि ये समूह "सुसंगठित, अच्छी तरह से वित्त पोषित और राजनीतिक रूप से मजबूत" हैं और कनाडा में हिंदू मंदिरों, नेताओं और संगठनों को निशाना बनाते रहे हैं। इससे पहले, गुरुवार को भारत में कनाडा के उच्चायुक्त ने भी जश्न के वीडियो क्लिप पर प्रतिक्रिया दी थी जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
झांकी की निंदा करते हुए, उन्होंने ट्वीट किया था, कि "मैं कनाडा में हुए कार्यक्रम की खबरों से हैरान हूं, जिसमें दिवंगत भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाया गया है। नफरत या हिंसा के महिमामंडन के लिए कनाडा में कोई जगह नहीं है। मैं स्पष्ट रूप से इन गतिविधियों की निंदा करता हूं।" छह-सेकंड की क्लिप ने खालिस्तानियों ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला है, जिसकी भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत भारत के कई नेताओं ने निंदा की है।
भारतीय विदेश मंत्री ने कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, कि "साफ तौर पर, हम वोट बैंक की राजनीतिक आवश्यकताओं के अलावा ये समझने में नाकाम रहे हैं, कि भला ऐसा कोई क्यों करेगा। मुझे लगता है कि अलगाववादियों, चरमपंथियों की हिंसा की वकालत करने लोगों को जगह देना, एक बड़ा मुद्दा है और मुझे लगता है, कि भारत और कनाडा के आपसी रिश्तों के लिए ये घटना अच्छा नहीं है और ये कनाडा के लिए भी अच्छा नहीं है।"