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Canada : इंदिरा गांधी हत्याकांड संबंधी पोस्टर को लेकर कहा मंत्री - हिंसा का प्रोत्साहन अस्वीकार्य

Sanjna Verma
8 Jun 2024 4:17 PM GMT
Canada : इंदिरा गांधी हत्याकांड संबंधी पोस्टर को लेकर कहा मंत्री - हिंसा का प्रोत्साहन अस्वीकार्य
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ottawa ओटावा : वैंकूवर में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाने वाले पोस्टर कथित रूप से चिपकाये जाने के बाद एक मंत्री ने कहा है कि कनाडा में हिंसा को प्रोत्साहन दिया जाना कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता है। भारतीय मूल के एक कनाडाई सांसद ने भी इस मुद्दे पर यह कहते हुए चिंता जतायी की कि ऐसा कर खालिस्तानी समर्थक हिंदू कनाडाइयों के मन में हिंसा का डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। जन सुरक्षा, लोकतांत्रिक संगठन और अंतर-सरकारी विषयक मंत्री डोमनिक ए लेब्लांक ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ इस सप्ताह वैंकूवर में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाने वाले पोस्टर चिपकाये जाने की खबर आयी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कनाडा में हिंसा को प्रोत्साहन कभी स्वीकार्य नहीं है।’’ गांधी की 1984 में सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। इस बीच canadaके ‘हाउस ऑफ कामंस’ में नेपियन निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधित्व भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने कहा, ‘‘ वैंकूवर में खालिस्तान समर्थक गोलियों से छलनी हिंदू भारतीय प्रधानमंत्री इंदिर गांधी के शव और साथ में अपनी बंदूक लिये खड़े उनके हमलावर अंगरक्षक के पोस्टर के माध्यम से हिंदू -कनाडाइयों के मन में हिंसा का डर पैदा करने की फिर चेष्टा कर रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू की पार्टी के सांसद आर्य ने कहा, ‘‘ कुछ साल पहले और कुछ महीने पहले ब्रम्पटन में सिख फॉर जस्टिस के (गुरपतवंत सिंह)पन्नून ने हिंदुओं को भारत चले जाने की जो धमकी थी, यह उन्हीं धमकियों की निरंतरता है।’’ पन्नूर खालिस्तान आंदोलन के मुख्य नेताओं में एक है और ‘सिख फॉर जस्टिस (SFJ)’ का कानूनी सलाहकार एवं प्रवक्ता है। एसएफजे का लक्ष्य पृथक सिख राज्य (राष्ट्र) के विचार को बढ़ावा देना है। आर्य ने कनाडा की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को तत्काल कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि इसे यूं ही चलते रहने दिया गया तो संदेश देने के लिए इस्तेमाल की जा रही बंदूक की तस्वीरें से वाकई कुछ ऐसा न हो जाए। इंदिरा गांधी के माथे पर प्रमुखता से बिंदी को दर्शाना यह बिल्कुल सुनिश्चित करना है कि लक्षित निशाने कनाडा में हिंदू हैं।’’ भारत कहता रहा है कि कनाडा में अलगाववादियों, आतंकवादियों और भारत-विरोधियों को दी जाने वाली छूट का विषय उसके (कनाडा के) साथ उसका ‘मूल मुद्दा’ बना हुआ है।। वैंकूवर में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाने वाले पोस्टर कथित रूप से चिपकाये जाने के बाद एक मंत्री ने कहा है कि कनाडा में हिंसा को प्रोत्साहन दिया जाना कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

भारतीय मूल के एक कनाडाई सांसद ने भी इस मुद्दे पर यह कहते हुए चिंता जतायी की कि ऐसा कर खालिस्तानी समर्थक हिंदू कनाडाइयों के मन में हिंसा का डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। जन सुरक्षा, लोकतांत्रिक संगठन और अंतर-सरकारी विषयक मंत्री डोमनिक ए लेब्लांक ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ इस सप्ताह वैंकूवर में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाने वाले पोस्टर चिपकाये जाने की खबर आयी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कनाडा में हिंसा को प्रोत्साहन कभी स्वीकार्य नहीं है।’’ गांधी की 1984 में सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। इस बीच कनाडा के ‘हाउस ऑफ कामंस’ में नेपियन निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधित्व भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने कहा, ‘‘ वैंकूवर में खालिस्तान समर्थक गोलियों से छलनी हिंदू भारतीय प्रधानमंत्री इंदिर गांधी के शव और साथ में अपनी बंदूक लिये खड़े उनके हमलावर अंगरक्षक के
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के माध्यम से हिंदू -कनाडाइयों के मन में हिंसा का डर पैदा करने की फिर चेष्टा कर रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडू की पार्टी के सांसद आर्य ने कहा, ‘‘ कुछ साल पहले और कुछ महीने पहले ब्रम्पटन में सिख फॉर जस्टिस के (गुरपतवंत सिंह)पन्नून ने हिंदुओं को भारत चले जाने की जो धमकी थी, यह उन्हीं धमकियों की निरंतरता है।’’ पन्नूर खालिस्तान आंदोलन के मुख्य नेताओं में एक है और ‘सिख फॉर जस्टिस (SFJ)’ का कानूनी सलाहकार एवं प्रवक्ता है। एसएफजे का लक्ष्य पृथक सिख राज्य (राष्ट्र) के विचार को बढ़ावा देना है। आर्य ने
कनाडा
की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को तत्काल कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि इसे यूं ही चलते रहने दिया गया तो संदेश देने के लिए इस्तेमाल की जा रही बंदूक की तस्वीरें से वाकई कुछ ऐसा न हो जाए। इंदिरा गांधी के माथे पर प्रमुखता से बिंदी को दर्शाना यह बिल्कुल सुनिश्चित करना है कि लक्षित निशाने कनाडा में हिंदू हैं।’’ भारत कहता रहा है कि कनाडा में अलगाववादियों, आतंकवादियों और भारत-विरोधियों को दी जाने वाली छूट का विषय उसके (कनाडा के) साथ उसका ‘मूल मुद्दा’ बना हुआ है।
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