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इस्लामाबाद (आईएएनएस)| देश में 9 मई को हुई हिंसा के बाद बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी, अदालती केस, आतंकवाद निरोधक कानूनों के तहत कार्रवाई और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर पूर्ण प्रतिबंध की बात करके पाकिस्तान सरकार अपने पुराने दुश्मन इमरान खान को अक्टूबर में प्रस्तावित चुनाव जीतने से रोकने की रणनीति में सफल होती दिख रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अदनान शौकत ने कहा, यदि आप देखें कि इमरान खान के लिए चीजें कैसे बद से बदतर और फिर बिल्कुल समाप्त हो गई हैं, तो यह संकेत मिलता है कि न केवल इमरान खान से उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता छीनकर उन्हें अलग-थलग किया जा रहा है, बल्कि राजनीतिक शक्ति के मामले में भी उन्हें अकेला किया जा रहा है - उनकी पार्टी के लगभग सभी नेताओं ने पार्टी छोड़ने और इमरान खान से अलग होने की घोषणा कर दी है।
विश्लेषक ने कहा, पाकिस्तान में सत्ता की राजनीति का राजनीतिक ²ष्टिकोण बदला जा रहा है। पीटीआई तेजी से उन निर्वाचित पार्टी सदस्यों को खो रही है, जिनके पास मजबूत वोट बैंक था और जो पहले पीटीआई के टिकट पर चुनाव जीते थे। जहांगीर तारेन के तहत एक अन्य समूह का एक नया गठन भी प्रक्रिया में है। जैसा कि इमरान खान की पार्टी के लगभग सभी सदस्य अब तरीन समूह का रुख कर रहे हैं।
इमरान खान की राजनीति पंजाब प्रांत पर नियंत्रण करने पर केंद्रित थी। हालांकि, अब इसकी संभावना बहुत कम लगती है क्योंकि वह पार्टी में अकेले रह गए हैं। अन्य सभी ने, जो पंजाब में उनके लिए चुनाव जीत सकते थे, उन्हें छोड़ दिया है।
खान की सेना-विरोधी कहानी और नए सेना प्रमुख तथा अन्य वरिष्ठ सेवारत खुफिया अधिकारियों पर आरोप लगाकर उन्होंने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। इसने उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और सैन्य प्रतिष्ठान को न केवल उन्हें और उनकी पार्टी को बांध सकने की अनुमति दी, बल्कि उन्हें देश की राजनीति से हटाने में भी वे सफल रहे।
शौकत ने कहा, इमरान खान कभी भी नए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने ही 'हद पार करने' के लिए उन्हें आईएसआई के डायरेक्टर जेनरल के पद से हटाया था। जनरल मुनीर ने खान के प्रधानमंत्री रहते उन्हें सूचित किया था कि उनकी पत्नी और परिवार पंजाब में भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल हैं। लाहौर से रावलपिंडी तक इमरान खान का लंबा मार्च सैन्य प्रतिष्ठान पर जनरल असीम मुनीर को सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त नहीं करने के लिए दबाव बनाने के लिए था। लेकिन अब, चूंकि जनरल असीम मुनीर सेना प्रमुख हैं, उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि इमरान खान के लिए सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दिए जाएं।
9 मई अब एक काला दिन बन गया है, न केवल इसलिए कि यह इमरान खान के पीटीआई कार्यकर्ताओं ने जीएचक्यू, जिन्ना हाउस और देश के अन्य संवेदनशील स्थानों पर हमला किया था, बल्कि इसलिए भी कि यह एक ऐसे दिन के रूप में याद किया जाएगा जब सैन्य प्रतिष्ठान ने देश के सबसे लोकप्रिय नेता और सबसे लोकप्रिय पार्टी को खत्म कर अपनी ताकत और देश पर अपनी मजबूत पकड़ का फिर से इस्तेमाल किया।
पीटीआई को खुलाआम नंगा करने के बाद अब ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ सरकार के लिए न केवल देश भर में अक्टूबर में चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है, बल्कि सरकार में मौजूदा प्रतिनिधित्व और हिस्सेदारी को कायम रखते हुए एक और गठबंधन सरकार का गठन कर अगले कार्यकाल के लिए अपनी संयुक्त राजनीतिक शक्ति का भी वह दावा कर सकती है।
खान अभी भी अपनी लोकप्रिय रेटिंग बनाए रख सकते हैं, लेकिन एक व्यक्ति की लोकप्रियता उनके लिए पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा या संघीय सरकार में भी जीत का दावा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है, क्योंकि एक लोकप्रिय व्यक्ति निर्वाचित राजनेताओं की एक टीम के बिना राजनीतिक सिंहासन पर नियंत्रण नहीं कर सकता है।
--आईएएनएस
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