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मोदी-जॉनसन शिखर बैठक में एक अरब पौंड के व्यापार, जानें ब्रिटेन के भारत के करीब आने की क्या है वजह?

Neha Dani
5 May 2021 5:24 AM GMT
मोदी-जॉनसन शिखर बैठक में एक अरब पौंड के व्यापार, जानें ब्रिटेन के भारत के करीब आने की क्या है वजह?
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व्यापारिक समझौते पर बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है.

ब्रिटेन और भारत (Britain-India Relations) के बीच हाल के सालों में संबंधों में सुधार होता हुआ नजर आ रहा है. दोनों देशों के मुखिया विभिन्न वैश्विक मंचों पर एक-दूसरे संग मुलाकात करते रहे हैं. इसके अलावा, बैठकों का सिलसिला द्विपक्षीय भी रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Jhonson) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने ऑनलाइन शिखर बैठक की और इसमें कई महत्वपूर्ण समझौतों को अंतिम रूप दिया गया. इस बैठक में ब्रिटेन ने भारत के साथ एक अरब पाउंड के व्यापार और निवेश को अंतिम रूप दिया. इससे ब्रिटेन 6,500 से अधिक रोजगार पैदा होंगे.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ने निवेश की पुष्टि की और बताया कि ये दोनों मुल्कों के बीच बढ़ी व्यापार भागीदारी (ETP) का हिस्सा है. ETP के जरिए दोनों मुल्कों के बीच व्यापार को 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा, ब्रिटेन-भारत ने व्यापाक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में काम करने को लेकर हामी भरी है. इस व्यापार समझौतों और दोनों मुल्कों के करीब आने की वजह खासा मायने रखती है. दरअसल, अब तक ब्रिटेन के भारत संग रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे ही रहे हैं. दूसरी ओर, ब्रिटेन का पाकिस्तान की तरफ झुकाव भी एक वजह रहा है, जो कई बार विवाद की वजह बना है.
द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की ओर देख रहे: जॉनसन
पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा, ब्रिटेन-भारत के बीच रिश्तों के तमाम पहलुओं की तरह, दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध हमारे लोगों को मजबूत और सुरक्षित बनाते हैं. उन्होंने कहा, हमने आज जो 6,500 रोजगार सृजित होने की घोषणा की, उससे परिवारों और समुदायों को कोरोनावायरस संकट से पार पाने में मदद मिलेगी तथा ब्रिटेन तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. जॉनसन ने कहा, जिस नई भागीदारी पर हमने आज हस्ताक्षर किये और आगे होने वाले व्यापक मुक्त व्यापार समझौते से आने वाले दशक में, हम भारत के साथ व्यापार को दोगुना कर पाएंगे तथा द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे.
निवेश पैकेज में क्या है शामिल?
इस व्यापार और निवेश पैकेज में ब्रिटेन में 53.3 करोड़ पाउंड का नया भारतीय निवेश शामिल है. यह निवेश स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में होगा. इससे स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 6,000 से अधिक रोजगार सृजित होने का अनुमान है. बयान के अनुसार इसमें सीरम इंस्टीट्यूट का 24 करोड़ ग्रेट ब्रिटेन पाउंड (जीबीपी) निवेश शामिल है. यह निवेश ब्रिटेन में वैक्सीन कारोबार और नये बिक्री कार्यालय में किया जाएगा. इससे एक अरब डॉलर से अधिक का नया कारोबार सृजित होने का अनुमान है.
ब्रिटिश कंपनियों ने 44.6 करोड़ पाउंड का निर्यात आर्डर भी हासिल किया है. इससे ब्रिटेन में 400 लोगों को नौकरियां मिलेंगी. भारत और ब्रिटेन के बीच ETP पर सहमति से भारत में ब्रिटिश कंपनियों के लिये खाद्य और पेय पदार्थ, जीव विज्ञान और सेवा क्षेत्र समेत विभिन्न उद्योगों में तत्काल अवसर बढ़ेंगे. फल और चिकित्सा उपकरणों पर गैर-शुल्क बाधाओं को कम किया जाएगा. इससे ब्रिटेन की कंपनियां अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ा सकेंगे जिससे यहां वृद्धि एवं रोजगार को गति मिलेगी. इसके तहत दोनों पक्षों ने बाजार पहुंच के रास्ते में बाधाओं को तत्काल दूर करने के साथ FTA पर आगे का रास्ता तलाशने पर भी सहमति जतायी है.
ब्रिटेन के भारत के करीब आने के क्या मायने हैं?
अभी तक ये देखा जाता था कि ब्रिटेन अपने सभी कॉमनवेल्थ मुल्कों के करीब रहा है. लेकिन इसमें भारत उसका सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है, लेकिन लंदन की पाकिस्तान संग साझेदारी भी कम नहीं रही है. यही वजह है कि भारत संग उसका कई बार विवाद भी हुआ है. दूसरी ओर, ब्रेग्जिट के बाद अब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से बाहर हो गया है और अब उसे अपने विकास के लिए अन्य बाजारों की तरफ भी देखना है.
इसमें से भारत का बाजार और यहां से निर्यात होने वाली वस्तुएं उसके लिए खासा मायने रखती हैं. भारत के बाजार पर ब्रिटेन की लंबे समय से नजर रही है, यही वजह है कि डाउनिंग स्ट्रीट ने इस बात को दोहराया भी है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि लगभग 1.4 अरब लोगों के साथ, भारत की आबादी यूरोपीय संघ और अमेरिका से बड़ी है. इस तरह अब तक के सबसे बड़े बाजार में ब्रिटेन व्यापारिक समझौते पर बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है.


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