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अमेरिका के इस कदम से हजारों अफगान की जान खतरे में पड़ गई है.
काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) से निकलने की जल्दबाजी में ब्रिटेन और अमेरिका (UK & US) ऐसी गलती कर बैठे हैं, जिससे सैकड़ों अफगानियों की जान खतरे में पड़ गई है. ब्रिटिश एंबेसी के कर्मचारी जहां उन लोगों की लिस्ट काबुल में ही छोड़ आए, जिन्होंने मुश्किल वक्त में उनकी मदद की थी. वहीं, अमेरिका ने खुद ऐसी लिस्ट तालिबान (Taliban) के हाथों में सौंप दी है. इस लिस्ट में लोगों का नाम, पता और संपर्क जानकारी सब कुछ है. ऐसे में तालिबान के लिए उन्हें ढूंढकर सजा देना और भी ज्यादा आसान हो गया है. बता दें कि तालिबान विदेशी सेनाओं की मदद करने वालों को मौत के घाट उतार रहा है. हाल ही में अफगान पुलिस चीफ को भी उसने खौफनाक मौत दी थी.
Journalist ने देखी लिस्ट
'द सन' की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान (Afghanistan) कवर कर रहे पत्रकार एंथनी लोयड (Anthony Loyd) जब काबुल एंबेसी पहुंचे तो उन्हें वहां कई कागज बिखरे दिखाई दिए. इन कागजों में वो लिस्ट भी शामिल थी, जिसमें ब्रिटेन की सहायता करने वालों की पूरी जानकारी है. ब्रिटिश राजनयिक अफगानिस्तान छोड़ने की जल्दबाजी में लिस्ट वहीं छोड़ गए. इसके अलावा भी कई सवेदनशील डेटा वहां बिखरा हुआ था.
Protocols का नहीं किया पालन?
रिपोर्ट में बताया गया है कि पत्रकार एंथनी लोयड के साथ तालिबानी आतंकी भी मौजूद थे, इसलिए वो चाहकर भी लिस्ट को वहां से नहीं हटा सके. ब्रिटिश एंबेसी की इस गलती से कई अफगानियों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है. लोयड ने कहा, 'एम्बेसी को देखकर नहीं लग रहा था कि कर्मचारियों ने संवेदनशील दस्तावेज नष्ट करने के प्रोटोकॉल का पालन किया. उन्हें अपनी सहायता करने वाले अफगानियों की भी कोई चिंता नहीं थी. इसलिए महत्वपूर्ण लिस्ट यहीं छोड़कर चले गए'.
इधर, US ने हाथों में सौंपी लिस्ट
वहीं, अमेरिका ने भी एक बड़ी गलती कर दी है. अमेरिका ने तालिबान को उन लोगों की पूरी लिस्ट सौंप दी है, जिन्हें वह अपना दुश्मन मानता है. दरअसल, काबुल में मौजूद अमेरिकी अधिकारियों ने तालिबान को उन लोगों की लिस्ट सौंप दी है, जिन्हें वह अफगानिस्तान से निकालना चाहता है. ताकि तालिबान उन्हें काबुल एयरपोर्ट आने से ना रोके. अमेरिकी न्यूज वेबसाइट POLITICO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस लिस्ट में अमेरिकी नागरिकों, ग्रीन कार्ड होल्डर्स के अलावा उन अफगानियों की पहचान शामिल है, जिन्होंने पिछले 20 सालों में तालिबान के खिलाफ युद्ध में अमेरिका की मदद की है. अमेरिका के इस कदम से हजारों अफगान की जान खतरे में पड़ गई है.
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