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ब्रिटेन के पीएम सुनक के पास एक पालतू कुत्‍ता, तोड़ दिया गोरों का घमंड

Neha Dani
2 Nov 2022 6:57 AM GMT
ब्रिटेन के पीएम सुनक के पास एक पालतू कुत्‍ता, तोड़ दिया गोरों का घमंड
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बेरी भी यूके आ गए और यहां पर कई साल तक इनलैंड रेवेन्‍यू के साथ उन्‍होंने काम किया।
लंदन: भारत पर अंग्रेजों ने 200 साल तक शासन किया और कई तरह के जुल्‍म ढहाये। उस समय हर शहर में एक क्‍लब हुआ करता था जिसके बाहर एक बोर्ड लगा होता था। इस बोर्ड पर लिखा होता था, 'भारतीय और कुत्‍तों को मंजूरी नहीं,' यानी गोरों के लिए भारतीयों में और कुत्‍तों में कोई फर्क नहीं था। लेकिन समय का फेर देखिये एक भारतीय ने ही इन गोरों का घमंड चकनाचूर किया। 24 अक्‍टूबर को भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने और 10 डाउनिंग स्‍ट्रीट की चाबी उनके हाथ में आ गई। इसके बाद जो तस्‍वीर सुनक ने शेयर की वह काफी दर्दनाक है।
सुनक, नोवा और अक्षता
ब्रिटेन के पीएम सुनक के पास एक पालतू कुत्‍ता है जिसका नाम है नोवा। इसने सोमवार को सुनक फैमिली के साथ डाउनिंग स्‍ट्रीट पर अपनी पहली झलक दुनिया को दी। यह ब्रिटिश मीडिया के लिए एक क्‍यूट फोटो थी लेकिन भारत में जिन लोगों ने इस फोटो को देखा सुनक के लिए हजारों दुआएं निकलीं। सुनक और उनकी पत्‍नी अक्षता मूर्ति नोवा को पकड़े हुए डाउनिंग स्‍ट्रीट में दाखिल हुए।
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सुनक ने इन फोटोग्राफ्स को फेसबुक और इंस्‍टग्राम पर तो शेयर किया ही है साथ ही साथ इसे कवर इमेज भी बनाया है। सुनक की जड़ें उस देश से जुड़ी हैं जहां पर अंग्रेजों ने कई सालों तक राज किया है। वह उस परिवार का हिस्‍सा हैं जिसने गुलामी का दर्द झेला है। ऐसे में 10 डाउनिंग स्‍ट्रीट पहुंचकर सुनक की तरफ से इस तस्‍वीर को शेयर करना, अंग्रेजों के जले पर नमक छिड़कने की तरह ही है।
परिवार ने देखा बंटवारा
ऋषि सुनक पंजाबी खत्री परिवार से आते हैं। ऋषि के दादा रामदास सुनक गुंजरावाला में रहते थे जो बंटवारे के बाद पाकिस्‍तान में चला गया था।रामदास ने सन् 1935 में गुंजरावाला छोड़ा और वो क्‍लर्क की नौकरी करने के लिए नैरोबी आ गए। ऋषि की बायोग्राफी लिखने वाले माइकल एशक्रॉफ्ट ने बताया है कि रामदास सुनक हिंदू-मुसलमान के बीच खराब होते रिश्‍तों की वजह से नैरोबी गए थे। रामदास की पत्‍नी सुहाग रानी सुनक, गुंजरावाला से दिल्‍ली आ गई थीं और उनके साथ उनकी सास भी थी। इसके बाद वो सन् 1937 में केन्‍या चली गईं।
माता-पिता डॉक्‍टर
परिवार से जुड़े सूत्रों की मानें तो रामदास एक अकाउंटेंट थे जो बाद में केन्‍या में एडमिनिस्‍ट्रेटिव ऑफिसर बने। रामदास और सुहाग रानी के छह बच्‍चे थे जिसमें तीन बेटे और तीन बेटियां थीं। ऋषि के पिता यशवीर सुनक इनमें से ही एक थे जिनका जन्‍म नैरोबी में सन् 1949 में हुआ था। साल 1966 में यशवीर लिवरपूल आ गए और यहां पर लिवरपूल यूनिवर्सिटी से मेडिसिन की पढ़ाई की। फिलहाल वो साउथ हैंपटन में रहते हैं। रामदास सुनक की तीनों बेटियों ने भारत में ही पढ़ाई की।
नाना जुड़े राजशाही से
ऋषि के नाना रघुबीर बेरी पंजाब के रहने वाले थे। फिर वो एक रेलवे इंजीनियर के तौर पर तंजानिया चले गए। यहां पर उन्‍होंने तंजानिया में जन्‍मीं सरक्षा सुनक से शादी की। बायोग्राफ के मुताबिक सरक्षा साल 1966 में वन वे टिकट पर यूके गई थीं जो उन्‍होंने अपने शादी के गहने बेचकर खरीदा था। बेरी भी यूके आ गए और यहां पर कई साल तक इनलैंड रेवेन्‍यू के साथ उन्‍होंने काम किया।
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