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23 सालों तक दीमक से जंग लड़ता रहा Britain, अब जाकर मिली जीत, पढ़ें आखिर कैसे दी मात

Renuka Sahu
28 Dec 2021 1:18 AM GMT
23 सालों तक दीमक से जंग लड़ता रहा Britain, अब जाकर मिली जीत, पढ़ें आखिर कैसे दी मात
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फाइल फोटो 

ब्रिटेन ने करीब 23 साल तक दीमक से जंग लड़ी और आखिरकार उसने यह लड़ाई जीत ली है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ब्रिटेन (Britain) ने करीब 23 साल तक दीमक से जंग लड़ी (Fight Against Termite) और आखिरकार उसने यह लड़ाई जीत ली है. ब्रिटेन ने खुद को पूरी तरह से दीमक से मुक्त घोषित किया है. 1994 में एक दिन, ऑरिया थॉर्नीक्रॉफ्ट नामक महिला ने डेवोन में सौंटन सैंड्स के ऊपर पहाड़ियों पर अपने समुद्र किनारे के बंगले की दीवारों पर दीमक को देखा था. हालांकि, उस वक्त वहां कोई दीमक के बारे में नहीं जानता था. ऑरिया को समझ ही नहीं आया कि उनके घर की दीवारों को अपना घर बना चुके ये अजीब से कीड़े क्या हैं.

वॉलपेपर हटाया, तो फटी रह गईं आंखें
घबराई ऑरिया थॉर्नीक्रॉफ्ट (Aurea Thornycroft) ने स्थानीय कीट नियंत्रक (Pest Controller) को बुलाया. उसने जब दीवार पर लगा वॉलपेपर हटाया, तो सबकी आंखें फटी रह गईं. उन्होंने इससे पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था. पूरी दीवार पर सफेद, चींटी जैसे कीड़ों से भरी हुई थी. जिनमें से प्रत्येक की लंबाई लगभग आधा सेंटीमीटर थी. दरअसल, ऑरिया के घर की लकड़ी के फ्रेम वाली दीवारों पर पाइप भी लगे थे, जिनकी मदद से घर को गर्म रखा जाता था. नमी और गर्मी के इस मिश्रण से दीमक को अपना परिवार फैलाने के लिए बिल्कुल सही क्लाइमेट मिल रहा था.
कीटों की दुनिया का आतंकवादी है दीमक
ये एक तरह से ब्रिटेन पर दीमक का पहला हमला था. किसी को नहीं पता था कि ये कीड़े आए कहां से. शुरुआत में यह अटकलें लगाईं गईं की ये कैनरी द्वीप से लाए गए पॉट प्लांट के माध्यम से यहां पहुंची हैं. हालांकि, बाद में इसे खारिज कर दिया गया. बता दें कि दीमक सामान्यतौर पर दुनिया के गर्म हिस्सों में पाए जाते हैं. दीमक यदि जंगलों में हो तो फूड चेन को आगे बढ़ाने में मदद करने वाले 'सॉइल इंजीनियरों' के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन जब ये इंसानों के गांव, कस्बों और शहर का रुख कर लें तो बर्बादी ला सकते हैं. इसलिए इन्हें कीटों की दुनिया का आतंकवादी भी कहा जाता है.
यहां हर साल खर्च होते हैं अरबों रुपये
अमेरिका और यूरोप के लोग हर साल दीमक से बचाव पर अरबों खर्च करते हैं. पेरिस और मैड्रिड जैसे स्थानों पर दीमक ने हाल के दशकों में कहर बरपाया है. उसने ऐतिहासिक इमारतों की लकड़ी चट करके उन्हें खोखला बना दिया. थॉर्नीक्रॉफ्ट के बंगले की जांच करने वाले विशेषज्ञों ने जल्द ही महसूस किया कि यदि दीमक एक बार पूरी तरह से स्थापित हो जाए, तो फिर जमीन के नीचे पनपी उसकी आबादी को खत्म करना असंभव हो जाएगा. एक दीमक कॉलोनी दो स्विमिंग पूल के आकार के क्षेत्र में जमीन के अंदर सात मीटर तक पहुंच सकती है.
आक्रमणकारियों को भगाने का अभियान
दीमक को हटाना बेहद मुश्किल है. पेस्ट कंट्रोल के बाद भी वो अपने ऐसे अवशेष छोड़ जाता है, जो उसकी आबादी को फिर से बढ़ाने के लिए काफी है. इसलिए, न केवल नॉर्थ डेवोन बल्कि पूरे देश को इस कीट से बचाने के लिए ब्रिटेन की सरकार ने 1998 में UK Termite Eradication Programme शुरू किया. इसका घोषित उद्देश्य था, अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके इन विदेशी आक्रमणकारियों को हमारी धरती से बाहर करना. करीब 23 साल चले इस अभियान का पिछले हफ्ते अंत हुआ. दर्जनों वैज्ञानिक की टीम और भारी-भरकम खर्चे के बाद ब्रिटेन ने इस जंग में खुद को विजेता घोषित किया है. Saunton में पिछले दस साल से कोई दीमक नहीं मिला है, जिसका अर्थ है कि ब्रिटेन एक बार फिर आधिकारिक तौर पर दीमक मुक्त है.
दुनिया में पहली बार हुआ ये कारनामा
2003 से इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे डॉ एड सुट्टी ने कहा, दीमक को भगाने का हमारा अभियान सफल रहा. दुनिया में कहीं भी किसी ने भी अब तक ऐसा नहीं किया है'. डॉ एड सुट्टी ने बताया कि दीमक को खत्म करने के लिए उन्हें कई सुझाव मिले. किसी ने कहा कि पूरे घर को आग के हवाले कर दो. एक प्लान ये भी था कि दीमक से भरी हजारों टन मिट्टी को उठाकर समुद्र में फेंक दिया जाए, लेकिन ये अव्यवहारिक था. इसके बजाय, टीम ने एक नई योजना तैयार की जो हेक्साफ्लुमुरोन (Hexaflumuron) नामक रसायन के इर्द-गिर्द घूमती है. ये रसायन युवा दीमक को परिपक्व होने से रोकता है. हालांकि, सबकुछ योजना के अनुसार नहीं हुआ. दीमक को हेक्साफ्लुमुरोन का टेस्ट पसंद नहीं था, इसलिए इसके इस्तेमाल से घबराकर वो अपना स्थान बदल रहे थे. ऐसे में उनके दूसरे स्थानों तक फैलने का खतरा बढ़ गया था.
दीमक को इस तरह फंसाना जाल में
डॉ सुट्टी ने दीमक को अपना जाल में फंसाने के लिए फंगस की मदद ली. उन्होंने कुछ छड़ों को ऐसे फंगस से कवर किए जिनके प्रति दीमक आसानी से आकर्षित हो सकते हैं. इसके बाद इन छड़ों को प्रभावित इलाके में डाल दिया गया. जिसके परिणाम स्वरूप दीमक फंगस से आकर्षित होकर वहां आए और कैमिकल के प्रभाव से मर गए. इस तरह सालों तक चली लड़ाई का अंत हुआ.
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