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Brain.Space! ISS की उड़ान भरने वाले तीन अंतरिक्ष यात्री पहनेंगे ये खास हेलमेट

Gulabi Jagat
29 March 2022 3:48 PM GMT
Brain.Space! ISS की उड़ान भरने वाले तीन अंतरिक्ष यात्री पहनेंगे ये खास हेलमेट
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बताया जा रहा है कि 3 अप्रैल को चार अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस सफर की शुरुआत होगी
एक इजरायली स्‍टार्टअप है। नाम है- 'Brain.Space'। चार साल पहले शुरू हुआ था और मस्तिष्क की गतिविधियों पर डेटा की स्‍टडी करता है। 'Brain.Space' एक महत्‍वपूर्ण प्रोजेक्‍ट से जुड़ने जा रहा है। दरअसल, एलन मस्‍क की कंपनी स्‍पेसएक्‍स (SpaceX) की शटल फ्लाइट अगले हफ्ते इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरेगी। इस दौरान Brain.Space अंतरिक्ष यात्रियों पर अपना परीक्षण करेगा। 10 दिन का यह मिशन इसलिए भी खास है, क्‍योंकि यह इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन की पहली प्राइवेट यात्रा है। बताया जा रहा है कि 3 अप्रैल को चार अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस सफर की शुरुआत होगी।
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्राइवेट स्‍पेस-फ्लाइट फर्म Axiom Space के मिशन पर जाने अंतरिक्ष यात्रियों में से तीन यात्री 'Brain.Space' द्वारा बनाए गए एक खास इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (EEG)-इनेबल्‍ड हेलमेट को पहनेंगे।
'Brain.Space' के चीफ एग्‍जीक्‍यूटिव यायर लेवी ने न्‍यूज एजेंसी को बताया, हम जानते हैं कि माइक्रोग्रैविटी एनवायरनमेंट की वजह से शरीर के संकेतकों पर असर पड़ता है। यह शायद मस्तिष्क को प्रभावित करेगा और हम इसे मॉनिटर करना चाहेंगे। उन्‍होंने कहा कि अंतरिक्ष से जुड़े प्रोग्राम्‍स में हार्ट रेट, स्‍किन रेजिस्‍टेंट, मसल मास समेत अन्‍य चीजों से जुड़ा डेटा लगातार जुटाया गया है, लेकिन अभी तक ब्रेन एक्टिविटी पर कुछ नहीं किया गया है। कहा जाता है कि इस इजरायली स्‍टार्टअप को 30 एक्‍सपेरिमेंट में शामिल किया गया है, जो ISS के एक कथित मिशन से जुड़े हैं।
जिस हेलमेट को अंतरिक्ष यात्री पहनेंगे, उसमें 460 एयरब्रश लगे हैं। हेलमेट पहनते ही ये इंसान की खोपड़ी से जुड़ जाते हैं और रोजाना दिन में 20 मिनट के लिए कई काम करते हैं। हेलमेट से मिलने वाले डेटा को स्‍पेस स्‍टेशन में लैपटॉप पर अपलोड किया जाएगा। इस टास्‍क में 'विज़ुअल ऑडबॉल' भी शामिल है। इजरायली स्‍टार्टअप का कहना है कि यह ऑडबॉल असामान्‍य मस्तिष्क की गतिशीलता का पता लगाने में मददगार रहा है।
बहरहाल, अंतरिक्ष यात्रियों के EEG डेटा को हासिल करने के बाद कंपनी उसकी तुलना करेगी। देखा जाएगा कि पृथ्वी और अंतरिक्ष में इंसान की मस्तिष्क गतिविधि में किस तरह का अंतर होता है। इस प्रयोग का फायदा आने वाले वक्‍त में उन मिशन को मिल सकता है, जिनमें अंतरिक्ष यात्रियों को लंबा वक्‍त पृथ्‍वी से बाहर गुजारना होगा।
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