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अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध न्यायाधिकरण ने उन्हें दोषी ठहराया था।
बोस्निया की राजधानी सारायेवो से 80 किलोमीटर दूर बसे स्रेब्रेनित्सा शहर के लिए 11 जुलाई 1995 का दिन कभी न भूलने वाला साबित हुआ। सामान्य तरीके से शुरू हुआ दिन एक भयावह नरसंहार के साथ खत्म हुआ। बोस्निया गृहयुद्ध से जूझ रहा था और लोग आजादी की मांग कर रहे थे। 11 जुलाई को भी लोग उस दिन के विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे थे कि तभी सर्ब सैनिकों की गाड़ियां शहर में आईं और प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मार दी।
नरसंहार में मारे गए 8000 मुसलमान
अनुमान लगाया जाता है कि इस नरसंहार में करीब 8000 मुसलमानों की मौत हुई थी जिनकी उम्र 12 से 77 साल के बीच थी। कहा जाता है कि लोगों को प्वॉइंट ब्लैंक रेंज (माथे के बीच) पर गोली मारी गई थी।
'बूचर ऑफ बोस्निया' के नाम से मशहूर कमांडर
इस नरसंहार के बाद बोस्निया के पूर्व सर्ब कमांडर जनरल रैट्को म्लाडिच को 'बूचर ऑफ बोस्निया' के नाम से जाना जाने लगा। 1992 में यूगोस्लाविया के विभाजन के समय बोस्नियाई मुसलमानों और क्रोएशियाई लोगों ने आजादी के लिए कराए गए जनमत संग्रह के पक्ष में वोट दिया था जबकि सर्बिया के लोगों ने इसका बहिष्कार किया।
नए देश को लेकर शुरू हुआ विवाद
सर्ब समुदाय और मुस्लिम समुदाय में इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया कि नया देश कैसे बनेगा। सर्ब और मुसलमानों के बीच उस समय मध्यस्थता कराने वाला कोई नहीं था। लिहाजा दोनों पक्षों ने बंदूक के दम पर एक दूसरे के ऊपर हमला करना शुरू कर दिया।
हजारों की मौत और लाखों विस्थापित
इस गृहयुद्ध में हजारों लोगों की मौत हुई जबकि लाखों लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा। सर्ब लोगों को लगता था बोस्नियाई मुसलमान उन पर हक जमाना चाहते हैं जबकि उनकी आबादी कम है।
हर बगावती को दी सजा-ए-मौत
यही वह दौर था जब सर्ब सेना की कमान जनरल रैट्को म्लाडिच को सौंपी गई। इसी कमांडर ने सर्ब सेना और सत्ता का विरोध करने वाले हर बगावती को मौत के घाट उतार दिया था।
15 साल तक फरार रहा कमांडर
म्लाडिच 15 साल तक फरार रहे और 26 मई 2011 को उन्हें सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड के पास गिरफ्तार किया गया। अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध न्यायाधिकरण ने उन्हें दोषी ठहराया था।
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