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बोरिस जॉनसन ने जलवायु सम्मेलन में हुए समझौते पर खुशी जताई, भारतीय मूल के कैबिनेट मंत्री की तारीफ की

Neha Dani
15 Nov 2021 10:02 AM GMT
बोरिस जॉनसन ने जलवायु सम्मेलन में हुए समझौते पर खुशी जताई, भारतीय मूल के कैबिनेट मंत्री की तारीफ की
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भारत ने मंच पर एक रचनात्मक बहस और न्यायसंगत एवं न्यायपूर्ण समाधान का मार्ग प्रस्तुत किया है.’

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने ग्लासगो सीओपी26 जलवायु सम्मेलन के अंत में हुए समझौते की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यह 'आगे की दिशा में बड़ा कदम' और कोयले के इस्तेमाल को 'कम करने' के लिए पहला अंतराष्ट्रीय समझौता है. सीओपी26 के अध्यक्ष और वार्ताओं के संचालन के लिए प्रभारी कैबिनेट मंत्री ब्रिटिश-भारतीय आलोक शर्मा (Alok Sharma) की कड़ी मेहनत की तारीफ करते हुए जॉनसन ने उम्मीद जताई कि दो सप्ताह तक चला यह शिखर सम्मेलन 'जलवायु परिवर्तन के अंत की शुरुआत' को चिह्नित करेगा.

उनका बयान लगभग 200 देशों के बीच शनिवार की देर रात एक समझौता होने के बाद आया है, जिसके तहत जीवाश्म ईंधनों का उपयोग 'चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय, इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने' के भारत के सुझाव को मान्यता दी गई है (What is Climate Deal). जॉनसन ने कहा, 'आने वाले वर्षों में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. लेकिन आज का समझौता एक बड़ा कदम है. यह कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता है. साथ ही यह ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री (सेल्सियस) तक सीमित करने के लिए एक रोडमैप है.'
भारत ने सम्मेलन को सफल बताया
भारत ने भी सीओपी26 शिखर सम्मेलन को 'सफल' बताया है. भारत का कहना है कि इस समझौते ने विकासशील दुनिया की चिंताओं और विचारों को विश्व समुदाय के सामने 'संक्षेप में और स्पष्ट रूप से' रखा है. ग्लासगो में सीओपी26 शिखर सम्मेलन अतिरिक्त समय तक जारी रहा. फिर शनिवार को एक समझौते पर सहमति के साथ इसे समाप्त किया गया (India on Climate Deal). शिखर सम्मेलन में लगभग 200 देशों के वार्ताकारों ने हिस्सा लिया था. यह समझौता जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को 'चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के बजाय, इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने' के भारत के सुझाव को मान्यता देता है.
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल हुए
ग्लासगो सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख एवं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ने हिस्सा लिया. उनका कहना है कि दुनिया को इस वास्तविकता को स्वीकार करने की जरूरत है कि वर्तमान जलवायु संकट विकसित देशों में अस्थिर जीवन शैली और बेकार खपत पैटर्न से उत्पन्न हुआ है (Climate Deal Reached). यादव ने इसपर रविवार को एक ब्लॉग भी लिखा है. इसमें वह लिखते हैं, 'शिखर सम्मेलन भारत के दृष्टिकोण के लिहाज से सफल साबित हुआ क्योंकि हमने विकासशील दुनिया की चिंताओं और विचारों को काफी संक्षिप्त और स्पष्ट रूप से व्यक्त किया और सामने रखा. भारत ने मंच पर एक रचनात्मक बहस और न्यायसंगत एवं न्यायपूर्ण समाधान का मार्ग प्रस्तुत किया है.'
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