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ज्वालामुखी से निकलता है नीले रंग का लावा, Fake नहीं Real हैं तस्वीर !

Gulabi Jagat
22 Jun 2022 5:10 PM GMT
ज्वालामुखी से निकलता है नीले रंग का लावा, Fake नहीं Real हैं तस्वीर !
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ज्वालामुखी से निकलता है नीले रंग का लावा
नयूवांगी रीजेंसी और बोंडोवोसो रीजेंसी की सीमा पर मौजूद ज्वालामुखी को 4 खासियतों की वजह से जाना जाता है. पहला- इसमें से निकलने वाला नीला लावा, दूसरी नीले रंग की आग, तीसरी- एसिडिक क्रेटर झील और चौथा सल्फर की माइनिंग. जिस ज्वालामुखी से नीला लावा निकलता है, उसे कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) कहते हैं. (Credit- Instagram/@travelandleisurestories)
कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) आखिरी बार साल 1999 में फूटा था, जिसमें से नीले रंग का लावा निकला. इस ज्वालामुखी का काल्डेरा करीब 20 किलोमीटर चौड़ा है और यहां कई सारे पहाड़ मौजूद हैं. इनमें से गुरुंग मेरापी स्ट्रैटोवॉल्कैनो सबसे ज्यादा खतरनाक है, जहां से नीले रंग का लावा और आग निकलती है.
गुरुंग मेरापी का मतलब आग का पहाड़ होता है. यहां से निकलने वाला लावा वैज्ञानिकों के लिए हमेशा स्टडी का सेंटर रहा. यहां मौजूद क्रेटर लेक करीब 1 किलोमीटर चौड़ी है, जिसमें नीले रंग का पानी मौजूद है. बताते हैं कि ये तेज़ाब की झील है और यहां का पानी एसिडिक है. यहां से सल्फर की माइनिंग की जाती, जो बेहद रिस्की काम है.
सल्फर निकालने वाले मजदूरों को दिन के 1013 रुपये मिलते हैं, क्योंकि वे पाल्टूडिंग घाटी में सल्फर चंक लेकर उतरते हैं. यहां मौजूद तेज़ाब की झील को दुनिया की सबसे बड़ी एसिडिक क्रेटर लेक माना जाता है, जो 200 मीटर तक गहरी है.
इसमें सलफ्यूरिक एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा है. पहले यहां इतने लोग नहीं आते थे, लेकिन अब यहां माउंटेन हाइकिंग के लिए लोग आने लगे हैं और वे नीले रंग के लावे को निकलते या बहते हुए देखना चाहते हैं.अकेला ज्वालामुखी ... जिसमें से निकलता है नीले रंग का लावा, Fake नहीं Real हैं तस्वीर !
सलफ्यूरिक गैस की वजह से ही यहां से निकलने वाली आग नीली दिखाई देती है. कावा इजेन ज्वालामुखी (Kawah Ijen Volcano) दुनिया का इकलौता ऐसा ज्वालामुखी है, जहां से नीले रंग की आग और लावा निकलता है. स्थानीय लोग इसे बीरू यानि नीली आग कहते हैं. ये सल्फर के खनन का बड़ा केंद्र हैं और यहां से रोज़ाना 14 टन सल्फर निकाला जाता है.
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