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कज़ाख़स्तान के सबसे बड़े शहर अलमाती में पिछले दिनों जो ख़ून-खराबा और क़त्ल-ए-आम हुआ, उसके पीछे कई कॉन्सिपिरेसी थिअरीज़ चल रही हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कज़ाख़स्तान के सबसे बड़े शहर अलमाती में पिछले दिनों जो ख़ून-खराबा और क़त्ल-ए-आम हुआ, उसके पीछे कई कॉन्सिपिरेसी थिअरीज़ चल रही हैं.
साज़िश की इन कहानियों में एक ये भी है कि कज़ाख़ राष्ट्रपति कासिम ज़ोमार्ट तोकायेव के ख़िलाफ़ षड्यंत्र में उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव के खानदान के लोग शामिल थे.
बताया जा रहा है कि इन कथित षड्यंत्रकारियों का मक़सद पूर्व राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव द्वारा मौजूदा राष्ट्रपति को पूरी तरह से मुल्क की सत्ता सौंपने से रोकना है. कासिम ज़ोमार्ट तोकायेव को नूरसुल्तान नज़रबायेव ने खुद अपने वारिस के तौर पर चुना था.
6 जनवरी को कज़ाख़ हुकूमत ने अब भूतपूर्व हो चुके नेशनल सिक्योरिटी कमेटी के चेयरमैन करीम मासिमोव की गिरफ़्तारी का एलान किया. करीम मासिमोव पर राजद्रोह का इलज़ाम लगाया गया है.
एक ज़माने तक करीम मासिमोव का नाम नूरसुल्तान नज़रबायेव के सबसे वफ़ादार लोगों में लिया जाता था. खुद नूरसुल्तान नज़रबायेव और उनके दो प्रभावशील भतीजे इस वक़्त कहां हैं, इसे लेकर विरोधाभासी रिपोर्टें सामने आ रही हैं.
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इस बीच, मुल्क की सत्ता को लेकर चल रही रस्साकशी जनता के सामने न जाहिर हो जाए, राष्ट्रपति तोकायेव और उनके अफ़सरों ने ख़ून-खराबे और क़त्ल-ए-आम की जिम्मेदारी 'विदेशी चरमपंथियों' के मत्थे मढ़ दीं.
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अलमाती में हिंसक उपद्रव की शुरुआत पांच जनवरी को हुई. इससे पहले कुछ दिनों से देश में बढ़ती गैस की क़ीमतों को लेकर सरकारी विरोध प्रदर्शन चल रहे थे. हिंसा भड़की तो उसकी जद में क़ानून लागू करने वाली सुरक्षा एजेंसियों और सेना के जवानों को भी जानोमाल का नुक़सान उठाना पड़ा. आम लोग भी मारे गए. सरकारी इमारतों, शहर के एयरपोर्ट, मीडिया प्रतिष्ठानों और कारोबारी संगठनों के दफ़्तरों को भी निशाना बनाया गया.
राष्ट्रपति तोकायेव ने अलमाती के हिंसक उपद्रव के लिए संगठित लुटेरों और चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया. देश में आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई और रूस के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन 'कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन' (सीएसटीओ) से मदद मांगी गई.
सात जनवरी को टीवी पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति तोकायेव ने कहा, "हमलावरों की साफ़ तौर पर सेना, सरकार और सामाजिक सुविधा केंद्रों पर हमला करने की योजना था. उनके निशाने पर देश के सभी इलाके थे और वे कड़ी लड़ाई की तैयारी के साथ आए थे."
तोकायेव ने बताया कि 20 हज़ार लुटेरों ने अलमाती पर धावा बोला था. उन्हें ख़ास तौर पर ट्रेन किए गए एक विचारधारा के माहिर लोगों की मदद हासिल थी और उन सभी की कमान एक जगह से आ रही थी.
उन्होंने वादा किया कि संकट के समय क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों और सेना के कामकाज की समीक्षा की जाएगी.
10 जनवरी को स्टेट सेक्रेटरी येरलान कारिन ने सरकारी न्यूज़ चैनल 'ख़बर 24 टीवी' पर दिए इंटरव्यू में अलमाती हिंसा को कज़ाख़स्तान को अस्थिर करने और हुकूमत के तख़्तापलट के इरादे से किया गया एक हाइब्रिड टेरर अटैक करार दिया.
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'खुफिया ट्रेनिंग कैम्प'
कज़ाख़स्तान के पूर्व सूचना मंत्री येर्मुखामेत येर्तिस्बायेव ने अलमाती हिंसा की जिम्मेदारी पूरी तरह से नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनएससी) पर डाली है.
न्यूज़ वेबसाइट 'ओरडा कज़ाख़स्तान' के टेलीग्राम चैनल के अनुसार, सात जनवरी को येर्मुखामेत येर्तिस्बायेव ने टीवी पर एक इंटरव्यू में कहा कि एनएससी पिछले कई सालों से देश के पहाड़ी इलाकों में 'कई खुफिया ट्रेनिंग कैम्पों' का संचालन कर रहा था.
उन्होंने दावा किया, "अलमाती एयरपोर्ट पर हमले के ठीक 40 मिनट पहले मेरे पास ये जानकारी आ गई थी कि वहां सुरक्षा घेरा पूरी तरह से हटाने का हुक्म जारी कर दिया गया है. ये तभी हो सकता है कि जब मुल्क की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोगों की इसमें सीधी भागीदारी हो. ये राजद्रोह है."
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'राष्ट्रपति तोकायेव के ख़िलाफ़ साज़िश'
सरकार समर्थक राजनीतिक विश्लेषक मारत शिबुतोव का कहना है कि अलमाती हिंसा के तार कज़ाख़स्तान की हुकूमत के तख़्तापलट की कोशिशों से जुड़े हुए हैं और इसके पीछे मुल्क की सत्ता के गलियारों में पहुंच रखने वाले लोगों का हाथ है.
रूसी वेबसाइट लासेंटर को आठ जनवरी को उन्होंने कहा, "उन लोगों का सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया पसंद नहीं आई. अब ये प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर पूरी हो रही थी. और उन्होंने इसे धीमा करने का फ़ैसला किया. वे राष्ट्रपति राष्ट्रपति कासिम ज़ोमार्ट तोकायेव को इस्तीफ़े के लिए मजबूर करना चाहते थे."
मारत शिबुतोव ये भी दावा करते हैं कि कथित षड्यंत्रकारियों ने स्थानीय आपराधिक गिरोहों और किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान के कट्टर इस्लामी चरमपंथियों का इस्तेमाल अराजकता फैलाने में किया.
अलमाती में उपद्रव के दौरान कथित तौर पर तीन लोगों का सिर कलम कर दिया गया. इस घटना की अपुष्ट रिपोर्ट का हवाला देते हुए मारत शिबुतोव दावा करते हैं, "अपराधी ऐसी हरकतें नहीं करते हैं... इस तरह से क़त्ल करना जिहादियों का काम है."
निर्वासन में रह रहे कज़ाख़स्तान के पूर्व प्रधानमंत्री अकेज़ान काज़हेगेल्दीन ने भी ये बात दोहराई कि अलमाती हिंसा राष्ट्रपति तोकायेव के ख़िलाफ़ साज़िश थी.
अमेरिकी फंडिंग से चलने वाले रेडियो चैनल 'रेडियो लिबर्टी' की कज़ाख़ सर्विस को दिए इंटरव्यू में अकेज़ान काज़हेगेल्दीन ने 7 जनवरी को कहा, "अलमाती में जो कुछ हुआ, उसे क्यों होने दिया गया? लुटेरों को रातभर शहर की लूटपाट के लिए क्यों छोड़ दिया गया? आपातकाल लागू करने के आदेश की तामील क्यों नहीं की गई? ये कैसे मुमकिन हुआ कि नेशनल सिक्योरिटी कमेटी के ठिकानों पर लूटपाट हो गई और उसके हथियारों किन हाथों में पहुंच गए? ऐसे बहुत से सवाल हैं."
"हमें ये समझने की ज़रूरत है कि जो लोग इन घटनाओं के पीछे शामिल थे, वे मुल्क के दौलतमंद लोग थे. उन्हें अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताक़त गंवाने का डर था और पिछले कुछ दिनों में उन्होंने देश छोड़ दिया था?"
पूर्व राष्ट्रपति के खानदान के लोगों की 'भूमिका'
नज़रबायेव के प्रवक्ता आयदोस उकीबाय ने नौ जनवरी को कहा कि पूर्व राष्ट्रपति राजधानी नूरसुल्तान में हैं. हालांकि कुछ रिपोर्टों में ये भी दावा किया गया कि 81 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति अपनी तीन बेटियों और उनके परिवारों के साथ कज़ाख़स्तान छोड़ चुके हैं.
पांच जनवरी को आधिकारिक तौर पर ये बताया गया कि राष्ट्रपति तोकायेव ने एनएससी के प्रमुख करीम मासिमोव और उनके सहायक समात अबीश को पद से बर्खास्त कर दिया है. समात अबीश नज़रबायेव के भतीजे हैं.
सात जनवरी को 'ओरडा कज़ाख़स्तान' के टेलीग्राम चैनल पर समात अबीश के गिरफ़्तारी की जानकारी दी गई लेकिन घंटे भर बाद ये कहा गया कि वो ख़बर 'ग़लत' है.
आठ जनवरी को सिक्योरिटी सर्विस ने बताया कि समात अबीश फर्स्ट डिप्युटी सिक्योरिटी चीफ़ के ओहदे पर बने हुए हैं.
आठ जनवरी को कज़ाख़ और रूसी समेत कई अन्य मीडिया आउटलेट्स ने मध्य एशिया मामलों के रूसी विशेषज्ञ अर्कादी डुबनोव के हवाले से समात अबीश के भाई कायरात सतीबाल्दी को दुबई में गिरफ़्तारी की ख़बर प्रकाशित की. समात और कारयात दोनों ही नज़रबायेव के भाई के बेटे हैं जिनकी मौत साल 1981 में एक कार दुर्घटना में हो गई थी.
सात जनवरी को रूसी न्यूज़ वेबसाइट फेरगाना मीडिया के संपादक दानिल किसलोव ने अपने संपादकीय में लिखा कि विशेषज्ञ और पत्रकार निजी तौर पर लंबे समय से ये कहते रहे थे कि नज़रबायेव के भतीजे ख़तरनाक हो गए थे
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