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उन्होंने पाया कि कोरोना से उबरे 80 फीसद वयस्क कम से कम एक लक्षण से लंबे समय तक प्रभावित रहे।
कोरोना वायरस (कोविड-19) की चपेट में आने वाले पीडि़तों पर इस घातक वायरस के दीर्घकालीन प्रभाव को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार, कोरोना संक्रमण के 50 से ज्यादा प्रभावों की पहचान की गई है। इनका असर संक्रमण से उबरने के बाद कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकता है।
अमेरिका के ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल के शोधकर्ताओं की ओर से किए गए इस अध्ययन के अनुसार, इन दीर्घकालीन प्रभावों में सबसे आम लक्षण के तौर पर थकान की पहचान की गई है। 58 फीसद मामलों में यह लक्षण पाया गया है। इसके बाद सिरदर्द (44 फीसद), एकाग्रता में कमी (27 फीसद), बाल झड़ना (25 फीसद), सांस की समस्या (24 फीसद), स्वाद में कमी (23 फीसद) और सूंघने की क्षमता में गिरावट (21 फीसद) जैसे लक्षण पाए गए हैं।
इनके अलावा लंबे समय तक रहने वाले दूसरे लक्षणों के तौर पर खांसी, बेचैनी, फेफड़ों का ठीक से काम नहीं करना, नींद की समस्या और हृदय संबंधी कई तरह की दिक्कतों का पता चला है। कानों में आवाज महसूस करना और रात में सोते समय पसीना होना जैसी समस्याओं की भी पहचान की गई है। शोधकर्ताओं ने डिप्रेशन, एंग्जाइटी और डिमेंशिया जैसे तंत्रिका तंत्र संबंधी लक्षणों का भी पता लगाया है।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में छपे अध्ययन के मुताबिक, यह निष्कर्ष अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, चीन, मिस्र और मेक्सिको में किए गए 15 अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर निकाला गया है। इन अध्ययनों में शामिल किए गए 47 हजार से ज्यादा लोगों के डाटा का विश्लेषण किया गया।उन्होंने पाया कि कोरोना से उबरे 80 फीसद वयस्क कम से कम एक लक्षण से लंबे समय तक प्रभावित रहे।
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