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बड़ा झटका: रूस को लेकर बड़ी खबर, 100 सालों में पहली बार हुआ ये...
jantaserishta.com
28 Jun 2022 4:43 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस ने लगभग 100 सालों में पहली बार विदेशी कर्ज डिफॉल्ट किया है.
प्रतिबंधों के बीच रूस 1913 के बाद पहली विदेशी कर्ज नहीं चुका पाया है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी कर्ज चुकाने की रूस की समयसीमा रविवार को समाप्त हो गई.
रूस को विदेशी कर्ज के ब्याज के रूप में 10 करोड़ डॉलर का भुगतान करना था. इस पर रूस को एक महीने का ग्रेस पीरियड मिला था लेकिन यह समयसीमा 26 जून को खत्म हो गई.
रूस का डिफॉल्टर होने से इनकार
इस डिफॉल्ट पर रूस का कहना है कि उसके पास विदेशी कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त पैसा है लेकिन पश्चिमी देशों के उस पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से वह अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं को भुगतान नहीं कर पा रहा है.
रूस के वित्त मंत्री एंटन सिलुआनोव ने पिछले महीने कहा था कि हमारे पास पैसा है और हम कर्ज चुकाने को तैयार हैं लेकिन एक तरह की बनावटी स्थिति पैदा कर दी गई है लेकिन इससे रूस के लोगों के गुणवत्तापूर्ण जीवन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
रूस को लगभग 40 अरब डॉलर के विदेशी बॉन्ड का भुगतान करना है, जिसमें से लगभग आधा विदेशी कर्ज है. प्रतिबंधों की वजह से रूस की अधिकतर विदेशी मुद्रा और गोल्ड रिजर्व विदेशों में है और उसे फ्रीज कर दिया गया है.
आखिरी बार 1913 में हुआ था विदेशी कर्ज डिफॉल्ट
आखिरी समय रूस का विदेशी कर्ज बोल्शेविक क्रांति के दौरान डिफॉल्ट हुआ था, उस समय रूसी साम्राज्य का पतन हो गया था और सोवियत संघ की स्थापना हुई थी.
इससे पहले 1998 में वित्तीय संकट के दौरान और रूबल की तेज गिरावट की वजह से रूस का 40 अरब डॉलर का घरेलू कर्ज डिफॉल्ट हुआ था. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मदद की वजह से रूस इससे बाहर निकल पाया था.
डिफॉल्टर होने की औपचारिक घोषणा आमतौर पर रेटिंग कंपनियों के दौरान की जाती है. यूरोपीय प्रतिबंधों की वजह से रूसी कंपनियों की रेटिंग को वापस ले लिया गया था.
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, एनालिस्ट्स का कहना है कि इस डिफॉल्ट का वैश्विक वित्तीय बाजारों और संस्थानों पर उस तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा, जिस तरह का प्रभाव 1998 के डिफॉल्ट से पड़ा था.
क्या होता है डिफॉल्ट?
वैश्विक स्तर पर सरकारें बॉन्ड जारी कर अंतरराष्ट्रीय बाजार या निवेशकों से कर्ज लेती हैं. इस कर्ज पर सरकार को ब्याज देना होता है. अगर लिए गए कर्ज पर ब्याज की रकम को समय पर नहीं चुकाया जाए तो उसे डिफॉल्ट कहा जाता है. किसी देश के डिफॉल्ट होने पर उसे बॉन्ड बाजार से पैसा उठाने से रोका जा सकता है.
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