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यूक्रेन से बड़ी खबर

jantaserishta.com
28 April 2022 3:13 AM GMT
यूक्रेन से बड़ी खबर
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Ukraine crisis Ground report: यूक्रेन के खेरसॉन में रूस ने कब्जा कर लिया है. कब्जे के लिए यहां लगातार गोलीबारी के चलते ह्यूमन कॉरिडोर फेल हो गया है, जिससे यहां हजारों लोग फंसे हुए हैं. बताया जा रहा है कि इस शहर को लेकर रूस और यूक्रेन के बीच खींचतान मची हुई है. डोनबास की तर्ज पर रूस खेरसॉन में भी जनमत संग्रह कराना चाहता है. वहीं यूक्रेन का आरोप है कि रूस यहां के लोगों के साथ बुरा सलूक कर रहा है.

खेरसॉन ओब्लास्ट में कुछ लोग इकट्ठा थे. सभी के चेहरों पर दहशत झलक रही थी. इनमें बच्चे, बूढ़े और महिलाएं शामिल थीं. इनसे बात करने पर पता चला कि ये सभी थके, भूखे और सदमे में हैं. 24 मार्च से ये लोग खेरसॉन में फैली युद्ध की भीषण हालातों को देख रहे थे. इन्होंने बताया कि नोवर्णसोवका के गांव में रूसी सेना लगातार एयर स्ट्राइक कर रही थी. हम लोग गोलियों से बचने के लिए कई हफ्तों तक बेसमेंट में रहे. हमारे पास जो कुछ भी खाने को स्टॉक था, वह लगातार खत्म हो रहा था. अब हमारे पास मजबूर होकर वहां से निकलने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. लोगों ने बताया कि यहां पर ह्यूमन कॉरिडोर बनाने की पहल हुई थी लेकिन वह विफल हो गई.
ह्यूमन कॉरिडोर के फेल हो जाने के बाद मायूस चार बच्चों की मां इरीना कुछ भी नहीं बोलना चाहती. उन पर क्या बीती वह बयान नहीं कर सकती. वे अपनी और बच्चों की जान बचाने के लिए करीब 6 घंटे तक पैदल चलकर खेरसॉन ओब्लास्ट तक पहुंचे हैं.
कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें भागने का मौका मिला तो पीछे मुड़कर नहीं देखा, बस पैदल चलते चले गए. पीछे बस तबाही का मंजर था. इरीना ने बताया कि खौफ से ज्यादा मौत जब हावी हो गई तो मैंने बच्चों को लिया और भाग निकली. उन्होंने बताया कि एक दिन पहले रूसी सैनिक उनके घर पहुंच गए थे. उनको शक था कि वह यूक्रेनी सेना की इनफॉर्मर है. इरीना के मुताबिक, सैनिकों ने उसे पीटा और धमकाया कि अंजाम अच्छा नहीं होगा.
वहीं, ओलेना ने बताया कि रूसी सैनिकों के हमले के बाद घर बर्बाद हो गया था. इसके बाद मैं तीन हफ्तों तक बेसमेंट में छिपी रही. घर में कुछ खाने को नहीं था और रूसी सैनिकों का लगातार इलाके में आना-जाना भी हो रहा था. उन्होंने बताया कि हमारे घर पर मिसाइल गिरी थी. इसके बाद जो मंजर था, वो मौत से भी भयानक था. उन्होंने बताया कि अभी गांव में 30 बच्चे हैं. उन्होंने बताया कि कुछ लोग अपने घरों से निकलकर भागने लगे तो पीछे से गोलियां चलने की आवाजें आईं, पता नहीं क्या हुआ होगा?
75 साल की ओलेना अपने बूढ़े पति के साथ 6 किलोमीटर चलकर नोवर्णसोवका तक पहुंची हैं. उन्होंने बताया कि बुढ़ापे में शरीर जवाब दे रहा था लेकिन जान बचाने के लिए ये सब करना पड़ रहा है. आजतक की टीम लोगों से बात कर रही थी कि इसी दौरान यूक्रेनी सरकार की बस मदद के लिए यहां पहुंची जिसके बाद लोगों के चेहरे पर सकून की हल्की लकीरें दिखी.
लोगों ने बताया कि नोवर्णसोवका के गांव से हम लोग तो भाग कर आ गए लेकिन वहां फिलहाल 80 लोग फंसे हुए हैं जिनमें 30 बच्चे भी शामिल हैं. उन्होंने बताया कि खेरसॉन के गांव-गांव का यही हाल है. एक अनुमान के मुताबिक, रूस के हमले के बाद से अबतक यूक्रेन के करीब 50 लाख लोग पलायन कर चुके हैं.
साभार: आजतक
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