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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: यूक्रेन पर हमले के बीच अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने रूस के तेल पर प्रतिबंध लगाए. इन पाबंदियों का फायदा चीन उठा रहा है. चीन, रूस से भारी छूट पर कच्चा तेल खरीद रहा है. मई महीने में रूस से चीन में कच्चे तेल का आयात रिकॉर्ड 55 फीसदी बढ़ा है. इसके साथ ही रूस, चीन को तेल की सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है. रूस ने इस मामले में सऊदी अरब को पीछे छोड़ दिया है.
चीन की सरकारी रिफाइनरी कंपनी सिनोपेक और झेनहुआ ऑयल सहित कई तेल कंपनियों ने हाल के महीनों में रूस के कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी है. यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोप और अमेरिका ने रूस के तेल पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका फायदा चीन को हो रहा है.
चाइनीज एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टमस के डेटा के मुताबिक, मई महीने में रूस के तेल का चीन में आयात लगभग 84.2 लाख टन रहा. इसमें पूर्वी साइबेरिया प्रशांत महासागर तेल पाइपलाइन और समुद्र के जरिये तेल का आयात शामिल है.
इससे पहले सऊदी अरब से चीन में सबसे ज्यादा तेल का आयात होता था. रूस की बढ़त के बाद अब सऊदी अरब दूसरे स्थान पर फिसल गया है. मई में सऊदी अरब ने चीन में 78.2 लाख टन तेल बेचा.
डेटा के मुताबिक, 19 महीनों के अंतराल के बाद रूस विश्व में कच्चे तेल की सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है. इससे यह भी पता चलता है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूस को अपने तेल के खरीदार मिल रहे हैं. बेशक, इसका कारण भारत और चीन जैसे देशों को तेल पर भारी छूट देना हो.
मार्च में अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस के तेल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी जबकि यूरोपीय यूनियन रूस के तेल पर अपनी निर्भरता को खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है.
रूस के तेल पर प्रतिबंध लगाते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी पर निशाना है.
तेल और अन्य तेल उत्पादों का निर्यात रूस की आय का सबसे बड़ा स्रोत है. सोमवार को जारी कस्टम्स डेटा के मुताबिक, चीन ने मई महीने में ईरान से कुल 260,000 टन कच्चे तेल का आयात किया था. ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद चीन लगातार ईरान का तेल खरीद रहा है.
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस को यूक्रेन पर हमले के शुरुआती 100 दिनों में ईंधन उत्पादों की बिक्री से लगभग 100 अरब डॉलर की आय हुई थी. रूस ने इनमें से 61 फीसदी निर्यात यूरोप के देशों में किया था. यूरोप के देशों में किया गया यह निर्यात लगभग 59 अरब डॉलर का था.
चीन एकमात्र एशियाई देश नहीं है जो रूस का तेल खरीद रहा है. भारत भी धड़ल्ले से भारी छूट पर रूस का तेल खरीद रहा है.
jantaserishta.com
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