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वॉशिंगटन: रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी है. रूस के खिलाफ इस युद्ध में अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के तमाम देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं. इन सबके बीच अमेरिका के एक सीनियर अफसर ने दावा किया है कि US रूस की यूनिट के मूवमेंट के बारे में यूक्रेन को खुफिया जानकारी उपलब्ध करा रहा है, इससे यूक्रेन को रूसी जनरलों को टारगेट करने और उन्हें मारने में मदद मिली है.
यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने रूस के करीब 12 फ्रंट लाइन जनरलों को युद्ध में मार गिराया है. यूक्रेन के इस दावे पर सैन्य विश्लेषक भी चकित हैं. दरअसल, बाइडेन प्रशासन युद्ध के दौरान रियल टाइम खुफिया जानकारी यूक्रेन के साथ शेयर कर रहा है, इससे यूक्रेनी सेना को काफी मदद मिल रही है.
अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यूक्रेन के साथ साझा की जा रही खुफिया जानकारी को लेकर चर्चा की. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, अमेरिका खुफिया जानकारी में रूसी सेना की गतिविधियां भी शामिल हैं. अमेरिका ने हाल ही में डोनबास क्षेत्र में रूस की युद्ध योजना के बारे में भी यूक्रेन को जानकारी दी थी. हालांकि, अधिकारियों ने यह जानकारी देने से मना कर दिया कि अमेरिका की मदद से कितने रूसी जनरल मारे गए.
संयुक्त राज्य अमेरिका का फोकस रूसी सेना के मोबाइल हेडक्वार्टर की लोकेशन और अन्य जानकारी देने पर है. यूक्रेनी अधिकारी अमेरिका से मिल रही लोकेशन संबंधी जानकारी का इस्तेमाल कर यूक्रेनी सेना रूसी अधिकारियों की उपस्थिति के बारे में जानकारी देते हैं. इसके बाद उस जगह पर आर्टिलरी गन आदि से हमला किया गया, इस हमले की चपेट में आकर कई रूसी जनरल मारे गए.
अमेरिका युद्ध की शुरुआत से यूक्रेन की मदद कर रहा है. रूसी हमलों के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को सहायता के तौर पर हथियार और आर्थिक मदद का ऐलान किया था. इसके अलावा अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध भी लगाए हैं. अब खुफिया जानकारी शेयर करना भी इसी मदद का हिस्सा है.
माना जा रहा है कि अमेरिका से मिलने वाली खुफिया जानकारी का यूक्रेन पर निर्णायक प्रभाव पड़ा है. इससे यूक्रेन को रूसी अफसरों को टारगेट करने में मदद मिल रही है. इतना ही नहीं यूक्रेन को रूसी सैनिकों की आवाजाही पर कार्रवाई पर करने में भी मदद मिल रही है.
युद्ध की शुरुआत में राजधानी कीव पर कब्जे में सफल न होने पर रूस ने पूर्वी यूक्रेन में अधिक ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की है, और असमान रूप से आगे बढ़ा. हालांकि, बाइडेन प्रशासन ने युद्ध की खुफिया जानकारी को गुप्त रखने की मांग की है. दरअसल, अधिकारियों को डर है कि इसे युद्ध के उकसावे के तौर पर देखा जाएगा.
हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि उन्होंने रूसी सेना हेडक्वार्टर के बारे में जानकारी कैसे हासिल की. दरअसल, इससे उनके जानकारी हासिल करने के तरीकों को नुकसान पहुंच सकता है. लेकिन युद्ध के दौरान यूएस खुफिया एजेंसियों ने रूसी सैनिकों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए कई सोर्स का इस्तेमाल किया है.
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