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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC
नई दिल्ली: अमेरिकी सेना ने 1960 के दशक से युद्ध में काम करने वाले चिनूक हेलीकॉप्टरों के अपने पूरे बेडे को इंजन में आग लगने के खतरे को देखते हुए ग्राउंड कर दिया है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सेना ने इस तरह का कदम सावधानी को देखते हुए उठाया है. अमेरिकी सेना की कार्रवाई से चिनूक पर सवालिया निशान उठने लगे हैं.
अमेरिकी मीडिया ने चिनूक को लेकर कई सवाल उठाए हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, चिनूक में आग लगने की घटनाएं बड़ी हैं. इसके साथ ही करीब छह दशक पुराने हेलीकॉप्टर के इंजन फेल समेत कई खतरे हो सकते हैं. इसी को देखते हुए अमेरिकी सेना ने ये फैसला लिया है. हालांकि चिनूक हेलीकॉप्टर केवल अमेरिका ही नहीं, भारतर समेत दुनिया के कई देशों की सेनाओं के बेड़े में शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों में से एक ने बताया कि हाल के दिनों में आग की घटनाएं सामने आई हैं. अमेरिकी सेना मटेरियल कमांड ने सैकड़ों हेलीकॉप्टरों को बेडे से बाहर कर दिया. यूएस आर्मी के अधिकारियों ने बताया कि 70 से ज्यादा चिनूक हेलिकॉप्टर के इंजन में आग लगने की घटनाओं के चलते यह फैसला लिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारी-भरकम चिनूक हेलीकॉप्टरों की ग्राउंडिंग अमेरिकी सैनिकों के लिए लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना कर सकती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि ऑर्डर कितने समय तक चलता है. बता दें कि इस समय अमेरिकी सेना के बेडे़ में करीब 400 चिनूक हेलीकॉप्टर हैं.
भारतीय सेना के पास इस समय करीब 15 सीएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर हैं. पिछले कुछ साल में उन्हें लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर जैसी जगहों पर तैनात किया गया है. यहां चिनूक भारतीय सेना के एयरलिफ्ट ऑपरेशन के लिए प्रमुख सैन्य उपकरणों से एक बनकर उभरे हैं.
भारत को फरवरी 2019 में चिनूक हेलीकॉप्टरों का पहला बैच मिला था. बोइंग ने 2020 में भारतीय वायु सेना को 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी पूरी की. अधिकारियों ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि अमेरिकी सेना को हेलीकॉप्टरों में इंजन में आग की घटनाओं के बारे में पता चला, हालांकि इनमें किसी को कोई चोट या मौत नहीं हुई थी.
jantaserishta.com
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