जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पाकिस्तान में हिंदू मंदिर के निर्माण को लेकर देश के सबसे बड़े धार्मिक निकाय ने गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है। इसने अपने फैसले में कहा है कि इस्लामाबाद या देश के किसी भी अन्य हिस्से में हिंदू मंदिर के निर्माण पर कोई संवैधानिक या शरिया प्रतिबंध नहीं है।
दि काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) ने बुधवार को हुई एक बैठक में संविधान और 1950 में हुए लियाकत-नेहरू समझौते के आधार पर यह फैसला लिया। इसके चलते ही पाकिस्तान में इवेक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) की स्थापना हुई थी।
इसके साथ ही सीआईआई ने पाकिस्तान सरकार को सईदपुर जिले में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर और इससे जुड़ी धर्मशाला को इस्लामाबाद के हिंदू समुदाय के हवाले करने की अनुमति भी दे दी है।
सीआईआई ने कहा, इस्लामाबाद में वर्तमान जनसंख्या को देखते हुए सईदपुर गांव में स्थित प्राचीन मंदिर और धर्मशाला को हिंदुओं के लिए खोला जाएगा। उन्हें अपनी परंपराओं के अनुसार धार्मिक गतिविधियां करने के लिए यहां तक आने की सुविधा दी जाएगी।
इस फैसले पर सीआईआई के 14 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। इस फैसले में कहा गया है कि देश में सभी धार्मिक समूहों की तरह ही हिंदुओं को भी अंतिम संस्कार के स्थान के लिए उनकी धार्मित मान्यता और विश्वास के अनुसार संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं।
बता दें कि पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने छह जुलाई को इस संबंध में सीआईआई के पास एक आवेदन भेजा था। मंत्रालय ने हिंदू समुदाय को अंतिम संस्कार, धर्मशाला और मंदिर के लिए जमीन देने को लेकर सीआईआई से उसकी राय मांगी थी।
मंत्रालय ने सीआईआई से प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से श्मशान और मंदिर के निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित करने को लेकर भी सलाह मांगी थी। बता दें कि मंदिर और श्मशान के निर्माण के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई थी।
बैठक के बाद सीआईआई के चेयरमैन किबला अयाज ने कहा कि काउंसिल ने विभिन्न आवेदनों का पक्ष सुनने के बाद यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि यह पैसला शरिया के विभिन्न प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
डॉ. अयाज ने कहा, मंदिर निर्माण को अनुमति दी जा सकती है और यह एक संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि शरिया में गैर मुसलमानों की धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए धर्मशालाओं के निर्माण पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
हालांकि, काउंसिल ने कहा कि वह मंदिर निर्माण के लिए सरकार की ओर से धनराशि आवंटन का समर्थन नहीं करती है। सीआईआई ने कहा कि आमतौर पर सरकार की ओर से पूजास्थलों के लिए धन उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं है।