विश्व
श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे को बड़ा झटका
jantaserishta.com
12 May 2022 10:16 AM GMT
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कोलंबो: फोर्ट मजिस्ट्रेट की अदालत ने श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे समेत 16 अन्य लोगों के देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी है. ये प्रतिबंध सोमवार को गोटागोगामा और माइनागोगामा प्रदर्शन स्थल पर हुए हमले की जांच के मद्देनजर लगाई गई है.
अटॉर्नी जनरल ने 17 लोगों पर यात्रा प्रतिबंध का अनुरोध करते हुए कहा था कि उन्हें हमलों की जांच के लिए श्रीलंका में उपस्थित रहने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने साजिश रची और हमलों की योजना बनाई.
जानकारी के मुताबिक, जिन लोगों के देश छोड़ने पर रोक लगाई गई है उनमें सांसद जॉनसन फर्नांडो, पवित्रा वन्नीराचची, संजीवा इदिरिमाने, कंचना जयरत्ने, रोहिता अबेगुनावर्धना, सीबी रत्नायके, संपत अतुकोराला, रेणुका परेरा, सनत निशांत, वरिष्ठ डीआईजी देशबंधु तेन्नेकून शामिल हैं.
इससे पहले बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि पुराने मंत्रिमंडल (Cabinet) को हटा दिया गया है और युवा सांसदों के साथ-साथ बिना किसी राजपक्षे के नए मंत्रिमंडल को बनाने की तैयारी है.
राष्ट्रपति गोटाबाया नई सरकार बनाना तो चाहते हैं कि लेकिन पीएम बनेगा कौन? वो जिन नेताओं को पीएम पद ऑफर कर रहे हैं वे इस रोल को नहीं लेना चाहते हैं. श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी (Samagi Jana Balawegaya) SJB के नेता साजिथ प्रेमदासा पीएम पद को स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक दिख रहे हैं. वो मौजूदा परिस्थिति में प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते हैं.
साजिथ प्रेमदासा ने कहा है कि वो तभी पीएम बनेंगे जब भ्रष्ट गोटाबाया इस्तीफा दें. लेकिन राष्ट्रपति गोटाबाया ने अपने संबोधन में इस्तीफे का कोई जिक्र नहीं किया है. अब श्रीलंका की सरकारी मशीनरी में गोटाबाया आखिरी राजपक्षे बचे हैं. पीएम रहे महिंदा राजपक्षे इस्तीफा दे चुके हैं.
इस बीच चर्चा है कि रानिल विक्रमसिंघे को देश के पीएम पद की कमान दी जा सकता है. रानिल विक्रमसिंघे पहले भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति गोटाबाया से मुलाकात की थी. लेकिन श्रीलंका की संसद में रानिल विक्रमसिंघे की कोई हैसियत नहीं है. क्योंकि 225 सदस्यों की संसद में रानिल विक्रमसिंघे के पास सिर्फ अपना ही सीट है. बड़ा सवाल है कि वे अपने लिए समर्थन जुटाएंगे कैसे? इसके लिए विपक्षी दलों से बात की जा रही है.
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